कली फूल बनके महकने लगी है
कली फूल बनके महकने लगी है
तो बुलबुल चमन में चहकने लगी है
(2)
बियाबान में भी हैं आईं . बहारें
हवा उसको छू कर गुजरने लगी है
(3)
शिकायत है लब पर मुहब्बत है दिल में
मगर झूठ हम पर भड़कने लगी है
( 4 )
शिकायत है लब पर मुहब्बत है दिल में
मगर झूठ हम पर भड़कने लगी है
5
बना कैश मै तो मुहब्बत में तेरी
के सहरा भी अब ठण्डी लगने लगी है
6
उठा कर निगाहें जो देखा उसे तो
मयूरी सी फिर वो थिरकने लगी है
7
मिला जबसे दिलवर जमाना है बदला
मेरी भी ये दुनिया बदलने लगी है
8
खयालों में आकर सताती है अक्सर
मिली जो वो मुझको तो छुपने लगी है
9
नहीं कल थी अच्छी ये लेखन तुम्हारी
मगर आज कल खूब लिखने लगी है
10
जिसे चैन मिलता नहीं था मेरे बिन
वो अब दूर हमसे तो रहने लगी है
11
मेरा तोड़ कर दिल वो खुश है जहां में
अकेले ही शायद. संवरने लगी है