कर सौलह श्रृंगार
हाथों में मेॅहदी रचा,कर सौलह श्रृंगार।
पत्नी करवा चौथ पर,करती है दीदार।।
करती है दीदार,चांद से करती तुलना।
जियें हजारों साल,साथ हों मेरे सजना।।
कहै अटल कविराय, जागती है रातों में।
पति का नित कल्याण,ढूढती है हाथों में।
हाथों में मेॅहदी रचा,कर सौलह श्रृंगार।
पत्नी करवा चौथ पर,करती है दीदार।।
करती है दीदार,चांद से करती तुलना।
जियें हजारों साल,साथ हों मेरे सजना।।
कहै अटल कविराय, जागती है रातों में।
पति का नित कल्याण,ढूढती है हाथों में।