Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Oct 2020 · 3 min read

कर्म और भाग्य

विषय -कर्म और भाग्य का संबंध, और इसका मानव जीवन में महत्व।

विधा- कहानी

प्रातः के नर्म प्रकाश में बाग की हरियाली के मध्य, मंद- मंद बयार का आनंद लेते हुए मैं और मेरा घनिष्ठ मित्र अंबर साथ साथ बैठे हुए थे। अंबर और मैं बचपन के मित्र हैं ।यह संयोग है, कि, हमने एक साथ एक शहर में शिक्षा प्राप्त की, और साथ-साथ पारिवारिक दायित्वों का निर्वाहन कर रहे हैं ।अंबर ने अपने बचपन की यादों को कुरेदना शुरू किया, तो ,वार्ता इस तरह आरंभ हुई।

अंबर जी – मित्र! स्मरण है ,हम प्राइमरी विद्यालय में साथ साथ पढ़ते थे। हमारा बचपन संघर्षों में व्यतीत हुआ। घर की पारिवारिक स्थिति कमजोर थी ।हम कभी-कभी एक जून भोजन पर निर्भर रहते, कभी कभी केवल जल और मां के स्नेह भरे आश्वासन पर। महंगाई चरम पर थी, और आमदनी ना के बराबर। माता-पिता दिन रात एक कर किसी तरह दो जून के भोजन की व्यवस्था कर पाते थे।

प्रवीण जी -मित्र! मेरा बचपन खुशहाल था, पिता सरकारी नौकर थे। महीने में एकमुश्त वेतन मिलता था। अच्छे से हम लोगों का गुजारा होता था।

अंबर जी- प्रवीण जी !मेहनत तो हम दोनों करते थे ।कभी मैं कक्षा में अव्वल आता था ,कभी तुम ।

प्रवीण जी -यह सब हमारे पूर्व जन्म के संचित कर्मों का फल है। इसी को भाग्य कहते हैं ।

अंबर जी- भाग्य का हमारे जीवन में कितना महत्व है ?

प्रवीण जी- प्रारब्ध, पूर्व जन्म में किए गए अच्छे -बुरे कर्मों का संचित कर्म फल है। हमारे धर्म ग्रंथों में पूर्व जन्म का वर्णन किया गया है। अतः कई जन्मों के संचित कर्मों का फल ,हम वर्तमान जन्म में भोगते हैं।

प्रवीण जी – मित्र !तुमने अवश्य पूर्व जन्म में अच्छे कर्म किए होंगे ,तभी अच्छे परिवार में जन्म लेकर अच्छे संस्कार ग्रहण किये हैं।

प्रवीणजी -मित्र अंबर!तुम्हारे द्वारा पूर्व जन्म में, कुछ अनर्थ अवश्य हुआ होगा। जीव हिंसा ,क्रूरता का व्यवहार किया होगा । जिसके परिणाम स्वरूप तुम्हें ,बचपन में कष्ट झेलने पड़े।

प्रवीण जी- अंबर जी! आज तुम अपने कर्म के अनुसार परिवार के दायित्वों का सुख से निर्वहन कर रहे हो ।यह भी तुम्हारे प्रारब्ध का ही खेल है ।

अंबर जी- यह कैसे? मैंने बिना एक पल गंवाये प्रतिदिन समय का सदुपयोग किया है ।तब मुझे अच्छे दिनों का सरोकार हुआ है। यह सब मैंने अपने कर्मों के बल पर प्राप्त किया है ।

प्रवीण जी- इस जन्म में किए गए कर्मों को क्रियमाण कर्म कहते हैं । इन संचित कर्मों का फल अगले जन्म में प्राप्त होता है। मित्र !यह तुम्हारे पूर्व जन्मों के शुभ कर्म का फल है ,जो तुम्हारे बुरे संचित कर्मों का प्रभाव धीरे धीरे कम होकर नष्ट हो रहा है ।मैं तुम्हें ,उदाहरण देकर समझाता हूं। यदि किसी ने पूर्व जन्मो में बुरे कर्म किए हैं, तो इस जन्म में उसे कर्म का बुरा प्रतिफल ही प्राप्त होगा,किन्तु, वर्तमान शुभ कर्मों और प्रायश्चित द्वारा कर्म फल के दंड की तीव्रता कम हो सकती है। यदि मृत्यु की संभावना है ,तो ,केवल नाम मात्र की चोट खाकर प्राण रक्षा हो सकती है। यही भाग्य और कर्मों का खेल है।

अंबरजी – अर्थात प्रवीण जी! पूर्व जन्म में किए गए कर्मों का स्वभाव अपने भाग्य का निर्माण स्वत: करता है ।और इन्हीं संचित कर्मों का प्रतिफल हमारे अच्छे या बुरे भाग्य का निर्माण करता है ।जो हमें इस जन्म में भोगना पड़ता है ।

प्रवीणजी -हाँ मित्र!अब तुम समझ गए हो, कि, संचित कर्म औऱ प्रारब्ध कर्म हमारे जीवन में कितना प्रभाव डालते हैं ।अतः मनुष्य को हमेशा शुभ कर्म, जीवो पर दया,असहायों की सहायता, अहिंसा, धर्म का पालन करना चाहिए, जिससे मनुष्य द्वारा अच्छे कर्मों का संचय हो ,और हमारे परिवार को सुसंस्कार और सौभाग्य की प्राप्ति हो।

अंबर भाई इस वार्ता से अत्यंत उत्साहित हुए ,उनका क्लेश दूर हो गया ,और उन्होंने खुशी-खुशी अपने मित्र को धन्यवाद देकर घर को प्रस्थान किया ।
*******
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।261001
मोबाइल9450022526

Language: Hindi
430 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
तू सच में एक दिन लौट आएगी मुझे मालूम न था…
Anand Kumar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
sushil sarna
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#बाल_दिवस_से_क्या_होगा?
#बाल_दिवस_से_क्या_होगा?
*Author प्रणय प्रभात*
Sometimes you don't fall in love with the person, you fall f
Sometimes you don't fall in love with the person, you fall f
पूर्वार्थ
16- उठो हिन्द के वीर जवानों
16- उठो हिन्द के वीर जवानों
Ajay Kumar Vimal
.......*तु खुदकी खोज में निकल* ......
.......*तु खुदकी खोज में निकल* ......
Naushaba Suriya
ठहर ठहर ठहर जरा, अभी उड़ान बाकी हैं
ठहर ठहर ठहर जरा, अभी उड़ान बाकी हैं
Er.Navaneet R Shandily
8. टूटा आईना
8. टूटा आईना
Rajeev Dutta
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
.....★.....
.....★.....
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
यदि कोई आपकी कॉल को एक बार में नहीं उठाता है तब आप यह समझिए
यदि कोई आपकी कॉल को एक बार में नहीं उठाता है तब आप यह समझिए
Rj Anand Prajapati
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
प्रार्थना
प्रार्थना
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
Lonely is just a word which can't make you so,
Lonely is just a word which can't make you so,
Sukoon
"इतिहास"
Dr. Kishan tandon kranti
अदाकारियां
अदाकारियां
Surinder blackpen
एक पराई नार को 💃🏻
एक पराई नार को 💃🏻
Yash mehra
*हमारे कन्हैया*
*हमारे कन्हैया*
Dr. Vaishali Verma
कोई चाहे कितने भी,
कोई चाहे कितने भी,
नेताम आर सी
इश्क़ में रहम अब मुमकिन नहीं
इश्क़ में रहम अब मुमकिन नहीं
Anjani Kumar
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
gurudeenverma198
ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो हर एक के लहु में
ऐ भगतसिंह तुम जिंदा हो हर एक के लहु में
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
🚩एकांत महान
🚩एकांत महान
Pt. Brajesh Kumar Nayak
तड़पता भी है दिल
तड़पता भी है दिल
हिमांशु Kulshrestha
💐प्रेम कौतुक-511💐
💐प्रेम कौतुक-511💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नरसिंह अवतार
नरसिंह अवतार
Shashi kala vyas
Loading...