Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Mar 2017 · 1 min read

करो तो कुछ ऐसा की बेटियों से तुम पहचाने जाओ यार…

न कहो अब छुईमुई सी होती है बेटियाँ…
न समझो अब की कमज़ोर होती है बेटियाँ…
न आँको की कमतर बेटों से होती है बेटियाँ…
न रोको उन्हें की अबला होती है बेटियाँ…
न टोकों उन्हें की नासमझ होती है बेटियाँ…
न तजों उन्हें की घर न चला पाती है बेटियाँ…
न गिराओ उन्हें की कमा न सकती है नाम बेटियाँ…

उन्हें न कमतर आँको न कमज़ोर मानो यार…
उन्हें न अबला समझो न नादां समझो यार…
कोख़ की पीड़ा को समझो उनको उजाले में आने तो दो यार…
माटी की महक सी अंगना में मुस्काने तो दो यार…
होती नहीं कम कभी बेटों से ये बेटियाँ…
सानिया-साइना सुनीता-कल्पना…
इंदिरा-टेरेसा नूयी-बेदी कितने नाम सुनाऊ यार…
न तजों उन्हें न गिराओ यार…
करो तो कुछ ऐसा की बेटियों से तुम पहचाने जाओ यार…

✍कुछ पंक्तियाँ मेरी कलम से : अरविन्द दाँगी “विकल”

Language: Hindi
1 Like · 412 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुविचार
सुविचार
Sarika Dhupar
किस्सा मशहूर है जमाने में मेरा
किस्सा मशहूर है जमाने में मेरा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड
Sandeep Pande
जो लोग बाइक पर हेलमेट के जगह चश्मा लगाकर चलते है वो हेलमेट ल
जो लोग बाइक पर हेलमेट के जगह चश्मा लगाकर चलते है वो हेलमेट ल
Rj Anand Prajapati
बेटियाँ
बेटियाँ
Surinder blackpen
उसकी करो उपासना, रँगो उसी के रंग।
उसकी करो उपासना, रँगो उसी के रंग।
डॉ.सीमा अग्रवाल
नज़रों में तेरी झाँकूँ तो, नज़ारे बाहें फैला कर बुलाते हैं।
नज़रों में तेरी झाँकूँ तो, नज़ारे बाहें फैला कर बुलाते हैं।
Manisha Manjari
फिर एक बार 💓
फिर एक बार 💓
Pallavi Rani
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
प्यार आपस में दिलों में भी अगर बसता है
Anis Shah
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
उम्र  बस यूँ ही गुज़र रही है
उम्र बस यूँ ही गुज़र रही है
Atul "Krishn"
शातिर दुनिया
शातिर दुनिया
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
राम-वन्दना
राम-वन्दना
विजय कुमार नामदेव
चाहती हूं मैं
चाहती हूं मैं
Divya Mishra
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
Dr MusafiR BaithA
सच तो हम सभी होते हैं।
सच तो हम सभी होते हैं।
Neeraj Agarwal
क्यों नारी लूट रही है
क्यों नारी लूट रही है
gurudeenverma198
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चले ससुराल पँहुचे हवालात
चले ससुराल पँहुचे हवालात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"खासियत"
Dr. Kishan tandon kranti
अपनापन
अपनापन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
उसको देखें
उसको देखें
Dr fauzia Naseem shad
ईश्वर अल्लाह गाड गुरु, अपने अपने राम
ईश्वर अल्लाह गाड गुरु, अपने अपने राम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खद्योत हैं
खद्योत हैं
Sanjay ' शून्य'
शासक की कमजोरियों का आकलन
शासक की कमजोरियों का आकलन
Mahender Singh
2298.पूर्णिका
2298.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-304💐
💐प्रेम कौतुक-304💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आत्मा की शांति
आत्मा की शांति
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
पर्वतों का रूप धार लूंगा मैं
पर्वतों का रूप धार लूंगा मैं
कवि दीपक बवेजा
मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
मैं जी रहीं हूँ, क्योंकि अभी चंद साँसे शेष है।
लक्ष्मी सिंह
Loading...