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21 Jun 2018 · 1 min read

करे वो राज भला कैसे आसमानों में

बह्र-मुजतस मुसम्मन मख़बून महज़ूफ
ग़ज़ल
करे वो राज भला कैसे आसमानों में।
यक़ीं नहीं है जिसे अपनी ही उड़ानों में।।

ये जंग फ़त्ह तुझे करना पड़ेगी अब तो।
जो चाहता है अगर नाम दास्तानों में।।

महक उठेगा पसीना भी तेरी मेहनत का।
नहीं मिलेगी ये ख़ुशबू भी इत्रदानों में।।

समझ न ख़त्म अभी ये चुनौतियाँ तेरी।
खरा उतरना पड़े और इम्तिहानों में।।

पहुंच तो मंज़िले-मकसूद देखना फिर तू।
सुकूं मिलेगा बहुत ही तुझे थकानों में।।

उगा रखे है दिलों में बबूल के जंगल।
झड़ेंगे फूल कहां उनकी अब ज़ुबानों में।।

बुलंदियों पे ठहर कर “अनीश” देख ज़रा।
शुमार होगें कई तेरे कद्रदानों में।।
@nish shah

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