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29 Aug 2019 · 1 min read

करूँ तो क्या करूँ

रो रहा है दिल करूँ तो क्या करूँ
जल रहा है तनबदन करूँ तो क्या करूँ

मुश्किलात हो गई जिन्दगी ओ बसर
कुछ नहीं रहा यतन करूँ तो क्या करूँ

जमाने के होते हैं ना जाने कितने रंग
हर रंग में रंज हजार करूँ तो क्या करूँ

किया है बहुत यकीन,हो निजी या गैर शख्स
विस्वासघाती हर शख्स करूँ तो क्या करूँ

बाँटता हूँ खुशियाँ मैं जीवन में डगर डगर
कोई बाँटे गम ही गम करूँ तो क्या करूँ

प्रेम की कोई सीमा नहीं है ये असीमित
जग सीमा में बाँधे करूँ तो क्या करूँ

प्रेम खुमारी होती है एक बीमारी नाइलाज
जानकर भी हो जाए करूँ तो क्या करूँ

रो रहा है दिल करूँ तो क्या करूँ
जल रहा है तनबदन करूँ तो क्या करूँ

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
1 Like · 421 Views
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