Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jul 2020 · 2 min read

………………… करवट!!

करवट,
ऐसा कौन है जो करवट नहीं बदलता,
बदलना पड़ता है,
जब एक ही स्थिति में,
रहते हुए थक जाते हैं,
तो मजबूरन करवट बदल जाते हैं।

जीवन में ना जाने,
मैंने कितनी बार करवट बदल डाले,
पर कभी, इस बारे में सोचा तक नहीं,
करवट बदलना क्यों है इतना जरुरी,
आज एक समाचार में,सुनने को मिल गया,
राजस्थान में राजनीति का ऊंट करवट बदल रहा,
और तब मुझे अहसास हुआ,
इंसान ही नहीं,पशु भी करवट बदलता है,
लेकिन यहां तो राजनीति का ऊंट,
लोगों को करवट बदलता दिख रहा।

करवट बदलना हर किसी की फितरत है,
क्यों कि एक ही स्थिति में बने रहना,
आसान नहीं, बहुत कठिन है,
जो स्वयं में करवट नहीं बदल सकते,
उन्हें दूसरों की मदद की जरूरत पड़ती है,
जैसे कोई,बीमार है,या उम्र दराज है,
और स्वयं करवट नहीं बदल सकता,
तो तीमारदारों का , एक यह भी जिम्मा है,
यहां तक कि मैंने गांव-देहात में भी यह देखा है,
अगर कोई पशु घायल हैं,बीमार है,
तो उसको भी करवट बदलवानी पड़ती है।

ऐसे में यदि राजनीति में कोई एक ही स्थान पर पड़ा है,
तो उसका भी करवट बदलने का पूरा हक जुड़ा है,
और तब तो और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है,
जब कोई बिन बुलाए, करवट बदलने को आता है,
ऐसा ही पिछले कुछ सालों से हो रहा है,
किसी ना किसी बहाने को,
कोई आकर करवट बदलने का आफर दे जाता है,
तब ऐसी परिस्थिति में, जो एक ही स्थिति में पड़ा है,
उसमें भी करवटें बदलने की आस जग जाती है,
फिर वह,सुखद अनुभूति की अभिलाषा में, बलवती हो जाती है,
इस लिए करवट बदलने के प्रयास एवं प्रयोग शुरू हो जाते हैं,
कभी-कभी यह सुखद भी होते रहते हैं, ‌ ‌और कभी कभी यह भारी कष्ट दायी हो जाते हैं,
लेकिन हम-तुम;हम-सब, करवट बदलने से बाज नहीं आते हैं।।

Language: Hindi
5 Likes · 8 Comments · 642 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
, गुज़रा इक ज़माना
, गुज़रा इक ज़माना
Surinder blackpen
जमाना नहीं शराफ़त का (सामायिक कविता)
जमाना नहीं शराफ़त का (सामायिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
यादें
यादें
Tarkeshwari 'sudhi'
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
आहट
आहट
Er. Sanjay Shrivastava
हे महादेव
हे महादेव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हम
हम
Dr. Kishan tandon kranti
किरदार हो या
किरदार हो या
Mahender Singh
मृत्यु संबंध की
मृत्यु संबंध की
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ग़ज़ल
ग़ज़ल
कवि रमेशराज
सुबह सुबह की चाय
सुबह सुबह की चाय
Neeraj Agarwal
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
फितरत
फितरत
Dr.Priya Soni Khare
माँ मेरी जादूगर थी,
माँ मेरी जादूगर थी,
Shweta Soni
मैं तेरा श्याम बन जाऊं
मैं तेरा श्याम बन जाऊं
Devesh Bharadwaj
कब तक कौन रहेगा साथी
कब तक कौन रहेगा साथी
Ramswaroop Dinkar
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
SPK Sachin Lodhi
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
शोभा कुमारी
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम।
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम।
Anand Kumar
SHELTER OF LIFE
SHELTER OF LIFE
Awadhesh Kumar Singh
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
वह बरगद की छाया न जाने कहाॅ॑ खो गई
VINOD CHAUHAN
गीत रीते वादों का .....
गीत रीते वादों का .....
sushil sarna
.
.
शेखर सिंह
चंद्रयान-२ और ३ मिशन
चंद्रयान-२ और ३ मिशन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मैं खाना खाकर तुमसे चैट करूँगा ।
मैं खाना खाकर तुमसे चैट करूँगा ।
Dr. Man Mohan Krishna
*डॉक्टर चंद्रप्रकाश सक्सेना कुमुद जी*
*डॉक्टर चंद्रप्रकाश सक्सेना कुमुद जी*
Ravi Prakash
■ सनातन पर्वों के ख़िलाफ़ हमारे अपने झूठे संगठन।
■ सनातन पर्वों के ख़िलाफ़ हमारे अपने झूठे संगठन।
*Author प्रणय प्रभात*
बड़ी बात है ....!!
बड़ी बात है ....!!
हरवंश हृदय
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
Suryakant Dwivedi
राजकुमारी कार्विका
राजकुमारी कार्विका
Anil chobisa
Loading...