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31 May 2018 · 1 min read

करबटें बदलूँ मैं हरदम

क्या हुआ होगा उसे कोई पता मिलता नही।
दिल मेरा घबराता क्यों है कुछ समझ आता नही।।

नींद अब आती नही है ख्वाब बेगाने हुये।
करबटें बदलूँ मैं हरदम ख़्याल तेरा जाता नही।

तड़फड़ाऊं इस कदर ज्यों मीन तड़पे रेत में।
तेरे बिन मेहबूब मेरे दिल को कुछ भाता नही।।

साथ मिल कर जो लिखे थे गीत हमने प्यार के।
वो जुदा क्या हो गये नग़्मे बफा गाता नही।।

वो मिले थे दिल खिले थे मौसमे गुलजार था।
‘कल्प’ माली रूठ कर अब तो यहाँ आता नही।।
2122 2122 2122 212

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