**करते रहे वक्त की पूजा**गजल /गीतिका
वक्त के हाथों के ,खिलौने हैं हम।
जैसा खेल खिलाए ,खेलते जाएंगे हम।
न मानेंगे हार, कष्ट मिले चाहे अपार।
रहेगा जब तक ,बाजुओं में दम।।
संभाला जबसे होश,बैठे है न खामोश।
जोश को कभी, न होने दिया है कम।।
जब मिला जैसा मिला, चलता रहा सिलसिला।
न गिला न शिकवा, जीवन जिया है सम।।
देखे सपने सबके लिए, न की अपने ही लिए।
चेतन अवस्था में तो, किया न है सितम।।
करते रहे वक्त की पूजा, बढ़ा न इससे कोई दूजा।
अनुनय वक़्त के साथ चलना,छोड़ के वहम।।
राजेश व्यास अनुनय