??कमबख़्त! दिल की वेदना??
दिल को तेरी हाज़िरी अच्छी लगे।
नज़र प्यार में सिरफिरी अच्छी लगे।।
तू मुस्क़रा बाहों में आ जाओ ज़रा।
तेरी ये दिल की बहादुरी अच्छी लगे।।
क़सम से तुझे दिल से चाहा है मैंने।
तुमसे मिलने की सौदागरी अच्छी लगे।।
फ़िदा दिल का इरादा नेक है सनम।
तेरे प्यार की जल्वागिरी अच्छी लगे।।
ज़रा मेरे हुस्न को देख जी भर के तू।
तेरी आह यह निग़ाहभरी अच्छी लगे।।
आँखों से शबनमी शाम देखूँ मैं जीभर।
तेरे हुस्न से भरी ये गागरी अच्छी लगे।।
“प्रीतम”तेरे प्यार के दरिया में बह जाऊँ।
आज मौत भी है मेरा मुझे भागरी लगे।।
राधेश्याम “प्रीतम” कृत गजल
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