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20 Mar 2017 · 2 min read

** कब तलक **

? ****२४.५.२०१६*****?
**** *****
स्वारथ के वशीभूत होकर आज मानव
मौत का ताण्डव सहेगा कब तलक
******
मानव मानव से झगड़ेगा कब तलक
मौत का ताण्डव रचेगा कब तलक
********
मन बिलबिला कर रो उठा है तेरी खातिर
आ भी जा अब दूर रहोगे कब तलक
*******
मावस अंधेरी घेर लेती है निशा को
कौन जाने जिंदगी है कब तलक
********
रोकती है मुझको उसकी सदाए आज भी
सुनी ना, तो फिर मिलेंगे कब तलक
******* ***** *****
प्यार का घरौंदा है कच्ची मिट्टी का घड़ा
जमाने की ठोकरों से बचायेगा कब तलक
**** *****
मैं तुम्हारी साजिसों को जानता हूं
मुझसे छुपाओगे कब तलक
**** ***** ****
रात को सूरज ना निकलेगा मगर
चांद उजियारा फैलायेगा कब तलक
******* ****
देश का शासन तुम्हारे हाथ है आखिर
गरीबों को रुलाओगे कब तलक
**** **** *****
रोक लो आंखो के आंसू आर्तजन के
अंतर्मन से आखिर बहेंगे कब तलक
***** **** ****
सांवली सूरत भ गयी आज मेरे मन को
रोक पाओगे आखिर कब तलक
***** **** *****
देखता है क्यों आंखे फाड़कर फलक पर
चांद उरत आएगा जमीं पर कब तलक
****** ****
चित्र-विचित्र सी सारियों में नारियां है
महफ़िल में पहचानोगे कब तलक
******** ******* ******
ऐ खुदा तेरी खुदाई को देखता हूं मगर
आयेगा आसमां से उतर कर कब तलक
**** *** ****
मजबूर कर दे प्यार तो
प्यार चलेगा कब तलक
**** ****
मुफ़लिसी फकापरस्ती छोड़कर
गैर के साये में खायेगा कब तलक
****** **** *****
देख ले तक़दीर तेरी सांवली है सोच ले
गैरों के घर दीपक जलाएगा कब तलक
***** **** *** *****
मत जा मायाजाल में फंसकर भंवर में
डूबती नैया बचाकर लाएगा कब तलक
***** **** *****
जान जोखिम में डालकर कौन
किसको बचायेगा कब तलक
***** ******
कब तलक दिल में महसूस किया करें
अब दूरियां प्यार में सहेगा कब तलक
***** *** **** *****
भटकती आत्माऐं आती है अक्सर रात में
तसव्वुर में डराएंगी आखिर कब तलक
****** ***** ? *******
?मधुप बैरागी

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