कफन तैयार है (गजल )
कुछ है इससे बेखबर और कुछ हैं अंजान ,
के कोई सी रहा है अपने लिए एक कफन ।
किस कदर खुद को तबाह औ बर्बाद किया ,
और किया उसने अपने अरमानो का खून ।
जाने कितने सितम जमाने के सहे होंगे ,
खून के आँसू रोया होगा तब आया यह रंग ।
क्या अपने ,क्या पराये ,मगर यह तक़दीर भी ,
कर गयी दगा ये बेरहम उस मासूम के संग ।
आखिरकार जिंदगी से मायूस और बेज़ार होकर’अनु ‘ ,
नाउम्मीद हो,उसने सी लिया अपने लिए कफन॰