Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Nov 2016 · 1 min read

कतरा कतरा जी रही है वो

गजल :- कतरा कतरा जी रही है वो-:

कतरा कतरा जी रही है वो
दर्द-ए-आंसू पी रही है वो

त्याग करके घर बनाती रही
उसी घर में घाव सी रही है वो

भावना के आंचल में पली थी कभी
आज खुद की कहानी कह रही है वो

प्यार ऐसा किया मां ने सबकुछ दिया
हर खुशी अपनी वारती रही है वो

टूटकर हर कदम पे खुद बिखरती रही
फिर भी बच्चों को अपने संवारती रही है वो

-सोनिका मिश्रा

1 Comment · 588 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr. Seema Varma
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
प्रेमदास वसु सुरेखा
किस पथ पर उसको जाना था
किस पथ पर उसको जाना था
Mamta Rani
अलार्म
अलार्म
Dr Parveen Thakur
शिक्षा बिना है, जीवन में अंधियारा
शिक्षा बिना है, जीवन में अंधियारा
gurudeenverma198
एकता
एकता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हम कुर्वतों में कब तक दिल बहलाते
हम कुर्वतों में कब तक दिल बहलाते
AmanTv Editor In Chief
23/09.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/09.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
महावीर की शिक्षाएं, सारी दुनिया को प्रसांगिक हैं
महावीर की शिक्षाएं, सारी दुनिया को प्रसांगिक हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शासन की ट्रेन पलटी
शासन की ट्रेन पलटी
*Author प्रणय प्रभात*
अंधा बांटे रेबड़ी, फिर फिर अपनों के देवे – कहावत/ DR. MUSAFIR BAITHA
अंधा बांटे रेबड़ी, फिर फिर अपनों के देवे – कहावत/ DR. MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
इंतिज़ार
इंतिज़ार
Shyam Sundar Subramanian
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
कतरनों सा बिखरा हुआ, तन यहां
Pramila sultan
Chubhti hai bate es jamane ki
Chubhti hai bate es jamane ki
Sadhna Ojha
बारिश
बारिश
विजय कुमार अग्रवाल
---- विश्वगुरु ----
---- विश्वगुरु ----
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
दिल से रिश्ते
दिल से रिश्ते
Dr fauzia Naseem shad
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कोई जिंदगी भर के लिए यूं ही सफर में रहा
कवि दीपक बवेजा
"शब्द"
Dr. Kishan tandon kranti
गीत
गीत
Kanchan Khanna
Deepak Kumar Srivastava
Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam"
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
नितिन पंडित
कलम की दुनिया
कलम की दुनिया
Dr. Vaishali Verma
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
“ज़िंदगी अगर किताब होती”
पंकज कुमार कर्ण
हमारे जैसी दुनिया
हमारे जैसी दुनिया
Sangeeta Beniwal
माँ तो पावन प्रीति है,
माँ तो पावन प्रीति है,
अभिनव अदम्य
सामाजिक मुद्दों पर आपकी पीड़ा में वृद्धि हुई है, सोशल मीडिया
सामाजिक मुद्दों पर आपकी पीड़ा में वृद्धि हुई है, सोशल मीडिया
Sanjay ' शून्य'
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
हरी भरी तुम सब्ज़ी खाओ|
Vedha Singh
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
मुहब्बत भी मिल जाती
मुहब्बत भी मिल जाती
Buddha Prakash
Loading...