Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2019 · 3 min read

*** ” औरत का सफर ‘***

” औरत का सफर ”
जन्म लेने के बाद कुछ समय तक खेलने कूदने मौज मस्ती में व्यतीत हो जाता है फिर करीबन 10 साल बाद ही माँ कहती है घर के काम करना सीख वरना आगे दूसरे घर ससुराल में जाने के बाद बहुत ही परेशानी उठानी पड़ेगी अभी से घर के सारे सीखते जाओ रोटी बनाना, खाना बनाना ,बर्तन साफ करना ,झाड़ू लगाना ,साफ सफाई करना, और अन्य सभी कार्य जो मम्मी करती आई है वो अपनी बेटियों को सिखाना इसके अलावा और भी चीजें जो अतिरक्त बातों को ध्यान में रखने की जरूरत होती है वैसे काम सीखने में बुराई नही है लेकिन जबरदस्ती या बुरे बर्ताव से ये काम तो तुम्हे करना ही पड़ेगा ये अन्याय है गलत तरीके से प्रभाव पड़ता है।
सारी चीजें सीखने के लिए उम्र पड़ी है और जब बेटियाँ पढ़ने लिखने की उम्र में ये सारे काम करेगी तो पढाई में दिमाग कैसे लगायेगी पढ़ने के लिए तो बहुत ध्यान लगाने के साथ साथ काफी मेहनत भी लगती है शरीर व मन ,दिमाग सभी थक जाते हैं अब ऊपर से ये दबाव बनाया जाता है आखिर क्यों ……? ?
अब चूल्हा चौका घर के सारे कामकाज करके शादी व्याह करके मुक्त हो जाते हैं लेकिन ससुराल में जाने के बाद भी वही दिनचर्या शुरू हो जाती है भले ही वो पढ़ी लिखी हो सर्विस करती हो शिक्षिका ,डॉक्टर , कोई भी अन्य उच्च पदों पर अधिकारी पद पर कार्यरत हो घर के कामों से कभी भी अछूता नही रहती हैं ।
वैसे खुद के काम को करना अच्छी बात है लेकिन कुछ को तो मजबूरी हो जाती है करना ही है और सारे परिवारों के साथ में तो और भी मुश्किल होता है एक साथ दो काम निभाना पड़ता है कहीं कहीं तो सारे कामों के लिए कामवाली तैयार रहती है पैसे दीजिये काम करवा लीजिये वैसे भी जब काम नही बनेगा तो या सर्विस करके थक कर कौन काम करेगा सो कामवाली सही है।
ये सब तो ठीक है लेकिन शादी के बाद जब खुद माँ बनने के बाद नया रूप लेती है तो इन बातों का एहसास होने लगता है अपनों से रिश्ते नाते तोड़कर दूसरों को अपनाते हैं अपने सपनों की ख्वाहिशों को मन में दबाते हुए जब साजन के सपनों को बुनने लगते हैं सुबह जल्दी उठना स्वाभाविक रूप से लाजमी होता है।
सुबह सबेरे उठना घर के सारे कार्यों को बेहतरीन तरीके से करना एक दिनचर्या सी बन जाती है और अपने कर्म बंधन में बंध ही जाती है फिर वही से चक्र शुरू हो जाता है बच्चों के जन्म से लेकर शादी व्याह तक की पूरी जिम्मेदारियां निभाते हुए परिवार के साथ में सामंजस्य स्थापित करती रहती है और बुढ़ापे में नाती ,पोतियों ,पोता ,पोतियों संग सहभागी बनकर किस्से कहानियां सुनाना उन्हें बड़ा होते देख खुश हो जाती है और घर की लक्ष्मी ,गृहलक्ष्मी से घर की चौकीदारी देखरेख करती है पिता के घर से डोली में बैठकर आती है और अर्थी पर ही चली जाती है यूँ ही अपने जीवन के अतीत ,वर्तमान ,भविष्य सभी को देखते हुए रंगीन सफर तय करते हुए चली जाती है …..! ! !
स्वरचित मौलिक रचना ??
***शशिकला व्यास **
# भोपाल मध्यप्रदेश #

Language: Hindi
Tag: लेख
433 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राजसूय यज्ञ की दान-दक्षिणा
राजसूय यज्ञ की दान-दक्षिणा
*Author प्रणय प्रभात*
अगर आप समय के अनुसार नही चलकर शिक्षा को अपना मूल उद्देश्य नह
अगर आप समय के अनुसार नही चलकर शिक्षा को अपना मूल उद्देश्य नह
Shashi Dhar Kumar
गौमाता की व्यथा
गौमाता की व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
वक्त यदि गुजर जाए तो 🧭
वक्त यदि गुजर जाए तो 🧭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
‘ विरोधरस ‘---11. || विरोध-रस का आलंबनगत संचारी भाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---11. || विरोध-रस का आलंबनगत संचारी भाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
मेरी नन्ही परी।
मेरी नन्ही परी।
लक्ष्मी सिंह
💐अज्ञात के प्रति-73💐
💐अज्ञात के प्रति-73💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शहीद -ए -आजम भगत सिंह
शहीद -ए -आजम भगत सिंह
Rj Anand Prajapati
*किसी की भी हों सरकारें,मगर अफसर चलाते हैं 【मुक्तक】*
*किसी की भी हों सरकारें,मगर अफसर चलाते हैं 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
किसी की छोटी-छोटी बातों को भी,
किसी की छोटी-छोटी बातों को भी,
नेताम आर सी
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
“दुमका संस्मरण 3” ट्रांसपोर्ट सेवा (1965)
“दुमका संस्मरण 3” ट्रांसपोर्ट सेवा (1965)
DrLakshman Jha Parimal
आजादी विचारों से होनी चाहिये
आजादी विचारों से होनी चाहिये
Radhakishan R. Mundhra
ਕਿਸਾਨੀ ਸੰਘਰਸ਼
ਕਿਸਾਨੀ ਸੰਘਰਸ਼
Surinder blackpen
Friendship Day
Friendship Day
Tushar Jagawat
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
कैसे रखें हम कदम,आपकी महफ़िल में
gurudeenverma198
जिन्दगी है बगावत तो खुलकर कीजिए।
जिन्दगी है बगावत तो खुलकर कीजिए।
Ashwini sharma
उसने क़ीमत वसूल कर डाली
उसने क़ीमत वसूल कर डाली
Dr fauzia Naseem shad
3051.*पूर्णिका*
3051.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम जिएँ न जिएँ दोस्त
हम जिएँ न जिएँ दोस्त
Vivek Mishra
चुप्पी और गुस्से का वर्णभेद / मुसाफ़िर बैठा
चुप्पी और गुस्से का वर्णभेद / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
Every moment has its own saga
Every moment has its own saga
कुमार
मौत से लड़ती जिंदगी..✍️🤔💯🌾🌷🌿
मौत से लड़ती जिंदगी..✍️🤔💯🌾🌷🌿
Ms.Ankit Halke jha
इश्क़ में
इश्क़ में
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
शायरी
शायरी
श्याम सिंह बिष्ट
पूछूँगा मैं राम से,
पूछूँगा मैं राम से,
sushil sarna
बदलता चेहरा
बदलता चेहरा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
Loading...