Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2017 · 3 min read

ओज के राष्ट्रीय कविः रामधारी सिंह दिनकर

राष्ट्रकविः रामधारी सिंह दिनकर

*लाल बिहारी लाल

आधुनिक हिंदी काव्य जगत में राष्ट्रीय सांस्कृतिक चेतना का शंखनाद करने वाले तथा युग चारण नाम से विख्यात वीर रस के कवि रुप में स्थापित हैं। दिनकर जी का जन्म 23 सितम्बर 1908 ई0 को बिहार के तत्कालीन मुंगेर(अब बेगुसराय) जिला के सेमरिया घाट नामक गॉव में हुआ था। इनकी शिक्षा मोकामा घाट के स्कूल तथा पटना विश्व विद्यालय(कालेज) में हुई जहॉ से उन्होने राजनीति एवं दर्शन शास्त्र के साथ इतिहास विषय लेकर बी ए (आर्नस) किया था ।

दिनकर स्वतंत्रता से पूर्व एक विद्रोही कवि के रुप में स्थापित हुए क्योकिं इनकी कविताओं में ओज,विद्रोह,आक्रोश औऱ क्रांति की पुकार है। दूसरी ओर कोमल भावनाओं की अभिब्यक्ति है। इन्हीं प्रवृतियों का चरम उत्कर्ष इनकी कृति कुरुक्षेत्र और उर्वशी में देखा जा सकता है। इनकी कृति उर्वशी विश्व के टाँप 100 बेस्ट सेलरों में से एक है। इसका स्थान 74वें पायदान पर है।

शिक्षा के उपरान्त एक विद्यालय के प्रधानाचार्य, बिहार सरकार के अधीन सब रजिस्टार,जन संपर्क विभाग के उप निदेशक, लंगट सिंह कॉलेज, मुज्जफरपुर के हिन्दी विभागाध्यक्ष, 1952 से 1963 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। सन 1963 में भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति

एवं 1965 में भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बनें जो मरते दम तक (मृत्युपर्यन्त) रहे । और अपने प्रशासनिक योग्यता का अद्वीतीय परिचय दिया।

साहित्य सेवाओं के लिए इन्हें डी लिट् की मानद उपाधि, विभिन्न संस्थाओं से इनकी पुस्तकों पर पुरस्कार। इन्हें 1959 में साहित्य आकादमी एवं पद्मविभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया । 1972 में काव्य संकलन उर्वशी के लिए इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया था।

दिनकर के काव्य में जहॉ अपने युग की पीडा का मार्मिक अंकन हुआ है,वहॉ वे शाश्वत और सार्वभौम मूल्यों की सौन्दर्यमयी अभिव्यक्ति के कारण अपने युग की सीमाओं का अतिक्रमण किया है। अर्थात वे कालजीवी एवं कालजयी एक साथ रहे हैं।

राष्ट्रीय आन्दोलन का जितना सुन्दर निरुपण दिनकर के काव्य में उपलब्ध होता है,उतना अन्यत्र नहीं? उन्होने दक्षिणपंथी और उग्रपंथी दोनों धाराओं को आत्मसात करते हुए राष्ट्रीय आन्दोलन का इतिहास ही काव्यवद्ध कर दिया है।

1929 में कांग्रेस से भी मोह भंग हो गया । तब दिनकर जी ने प्रेरित होकर कहा था-

टूकडे दिखा-दिखा करते क्यों मृगपति का अपमान ।

ओ मद सत्ता के मतवालों बनों ना यूं नादान ।।

स्वतंत्रता मिलने के बाद भी कवि युग धर्म से जुडा रहा। उसने देखा कि स्वतंत्रता उस व्यक्ति के लिए नहीं आई है जो शोषित है बल्कि उपभोग तो वे कर रहें हैं जो सत्ता के

केन्द्र में हैं। आमजन पहले जैसा ही पीडित है, तो उन्होंने नेताओं पर कठोर व्यंग्य करते हुए राजनीतिक ढाचे को ही आडे हाथों लिया-

टोपी कहती है मैं थैली बन सकती हूँ

कुरता कहता है मुझे बोरिया ही कर लो।।

ईमान बचाकर कहता है ऑखे सबकी,

बिकने को हूँ तैयार खुशी से जो दे दो ।।

दिनकर व्यष्टि और समष्टि के सांस्कृतिक सेतु के रुप में भी जाने जाते है, जिससे इन्हें राष्ट्रकवि की छवि प्राप्त हुई। इनके काव्यात्मक प्रकृति में इतिहास, संस्कृति एवं राष्ट्रीयता

का वृहद पूट देखा जा सकता है ।

दिनकर जी ने राष्ट्रीय काव्य परंपरा के अनुरुप राष्ट्र और राष्ट्रवासियों को जागृत और उदबद बनाने का अपना दायित्व सफलता पूर्वक सम्पन्न किया है। उन्होने अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रीय कवियों की राष्ट्रीय चेतना भारतेन्दू से लेकर अपने सामयिक कवियों तक आत्मसात की और उसे अपने व्यक्तित्व में रंग कर प्रस्तुत किया। किन्तु परम्परा के सार्थक निर्वाह के साथ-साथ उन्होने अपने आवाह्न को समसामयिक विचारधारा से जोडकर उसे सृजनात्मक बनाने का प्रयत्न भी किया है।“उनकी एक विशेषता थी कि वे साम्राज्यवाद के साथ-साथ सामन्तवाद के भी विरोधी थे। पूंजीवादी शोषण के प्रति उनका दृष्टिकोण अन्त तक विद्रोही रहा। यही कारण है कि उनका आवाह्न आवेग धर्मी होते हुए भी शोषण के प्रति जनता को विद्रोह करने की प्रेरणा देता है।

’’अतः वह आधुनिकता के धारातल का स्पर्श भी करता है ।

इनकी मुख्य कृतियॉः*काव्यात्मक(गद्य्)-रेणुका,द्वन्द गीत, हुंकार(प्रसिद्धी मिली),रसवन्ती(आत्मा बसती थी)चक्रवात. धूप-छांव, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथि(कर्ण पर आधारित), नील कुसुम, सी.पी. और शंख, उर्वशी (पुरस्कृत), परशुराम प्रतिज्ञा, हारे को हरिनाम आदि।

गद्य- संस्कृति का चार अध्याय, अर्द नारेश्वर, रेती के फूल, उजली आग,शुध्द कविता की खोज, मिट्टी की ओर,काव्य की भूमिका आदि ।

अन्त में 24 अप्रैल 1974 को इनका निधन हो गया। ऐसे वीर साहसी और सहृदयी लेखक को शत-शत नमन।जो भारत भूमि को अपनी लेखनी से सिंचित किया है।

265ए/7 शक्ति विहार, बदरपुर,नई

दिल्ली-110044, फोन-9868163073

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2351 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
होली
होली
Madhavi Srivastava
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-329💐
💐प्रेम कौतुक-329💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रक्षा है उस मूल्य की,
रक्षा है उस मूल्य की,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
* बिखर रही है चान्दनी *
* बिखर रही है चान्दनी *
surenderpal vaidya
तुम मुझे भुला ना पाओगे
तुम मुझे भुला ना पाओगे
Ram Krishan Rastogi
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Naushaba Suriya
"बोली-दिल से होली"
Dr. Kishan tandon kranti
जहां तक तुम सोच सकते हो
जहां तक तुम सोच सकते हो
Ankita Patel
धीरज और संयम
धीरज और संयम
ओंकार मिश्र
बाँस और घास में बहुत अंतर होता है जबकि प्रकृति दोनों को एक स
बाँस और घास में बहुत अंतर होता है जबकि प्रकृति दोनों को एक स
Dr. Man Mohan Krishna
चांद ने सितारों से कहा,
चांद ने सितारों से कहा,
Radha jha
इक दिन तो जाना है
इक दिन तो जाना है
नन्दलाल सुथार "राही"
*वोट हमें बनवाना है।*
*वोट हमें बनवाना है।*
Dushyant Kumar
शातिर दुनिया
शातिर दुनिया
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
किसी के साथ सोना और किसी का होना दोनों में ज़मीन आसमान का फर
Rj Anand Prajapati
तुम मेरी
तुम मेरी
Dr fauzia Naseem shad
दान किसे
दान किसे
Sanjay ' शून्य'
दोहावली ओम की
दोहावली ओम की
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
शादी
शादी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
अपने सुख के लिए, दूसरों को कष्ट देना,सही मनुष्य पर दोषारोपण
विमला महरिया मौज
*सबसे अच्छा काम प्रदर्शन, धरना-जाम लगाना (हास्य गीत)*
*सबसे अच्छा काम प्रदर्शन, धरना-जाम लगाना (हास्य गीत)*
Ravi Prakash
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
महाशिव रात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
जितना रोज ऊपर वाले भगवान को मनाते हो ना उतना नीचे वाले इंसान
Ranjeet kumar patre
किसी रोज मिलना बेमतलब
किसी रोज मिलना बेमतलब
Amit Pathak
अपने अपने कटघरे हैं
अपने अपने कटघरे हैं
Shivkumar Bilagrami
★भारतीय किसान★
★भारतीय किसान★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
Patience and determination, like a rock, is the key to their hearts' lock.
Patience and determination, like a rock, is the key to their hearts' lock.
Manisha Manjari
3198.*पूर्णिका*
3198.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...