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1 Jun 2021 · 1 min read

ऑक्सफोर्ड शाॅप

दफ्तर से थोड़ी दूरी पर क्नाॅट प्लेस में ऑक्सफोर्ड बुक्स स्टोर है जहां पुस्तक प्रेमियों के लिए मनपसंद पुस्तकों का विशाल संग्रह है मैं अक्सर वहां चला जाता हूं आज दोपहर लंच विराम में घनी उमस थी मन में विचार आया कि ममता कालिया की कृति मुखोटा को देख लिया जाए पर ऐसे पवित्र मनोरम एवम् रमणीय स्थल पर पहुंचते ही मैं सभी भाषाओं व गल्प साहित्य को देख मेरी आंखे खुली की खुली रह गई ना केवल किताबें वरन् पैन पैंसिल बाॅक्स,चार्ट एवम् शिक्षा संबंधी अनुपम जूट सामग्री लोक साहित्य व विदेशी पुस्तकें मौज़ूद थी लगा जैसे स्वर्ग में पहुंच गया हो करीब बीस मिनट मैंने किताबी संग्रह को करीब से निहारा जैसे कोई अपनी प्रेयसी को निहारता है।
मैंने दो एक किताब खरीदी मनमोहक मुस्कान के साथ पार्थ (पुस्तक विक्रेता)ने मुझे अगली मर्तवा आने का न्योता दे दिया लगा आज का दिन सफल हुआ सारी उमस अंदर के प्यारे वातावरण में गायब थी दिल चाहता था सामने रखी कुर्सी मेज पर बैठकर कुछ अध्ययन कर लूं पर समय का अभाव और दफ्तर के काज पुनः कदम दफ्तर की तरफ दौड़ पड़े मेरा हृदय जब भी विपरीत दशा से गुज़र रहा होता है मैं इस हृदयभेदी स्थल की ओर चल पड़ता हूं लगता है मेरी देह व आत्मा का उस पाक स्थल से गहरा नाता है बस आज के लिए इतना ही ….

मनोज शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
250 Views
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