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16 Oct 2020 · 1 min read

ऑंखों से मेरे अब ख़ूनाब रीस्ते हैं

ऑंखों से मेरे अब ख़ूनाब रीस्ते हैं
लबों पे अब गम ए मुस्क दहकते हैं

बूझ गए है चाॅंद सितारे फलक पे फिर भी
तेरे याद के जुगनू मेरे ख्वाब में दमकते हैं

भंवरों को उड़ ही जाना था गुल को छोड़
सबा से पूछे गुल क्यूं फिर भी सिसकते हैं

जाम हंथो में थी होठों ने चखा फिर क्यूं
कदमों के नीचे की जमीं झूम के सरकती हैं

दिल के जख्मों की कौन करे बखिया गिरी
हर कदम पे पुर्दिल टांके इसके खुलते है
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 371 Views
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