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15 Aug 2016 · 1 min read

ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है

दिल में हिंदुस्तान है, सांसों में हिंदुस्तान है
ऐ वतन तेरे लिए यह जान भी क़ुरबान है

नाज़ हमको है बहुत गंगो जमन तहज़ीब पर
अम्न का पैगाम अपनी खूबियाँ पहचान है

हिन्द की माटी में जन्मे सूर, मीरा जायसी
मीर, ग़ालिब की जमीं ये, भूमि ये रसख़ान की

धर्म, भाषा, वेशभूषा है अलग फिर भी मगर
मुल्क़ की जब बात होती सब लुटाते जान हैं

खूँ शहीदों ने बहाया, हँस के फाँसी पर चढे
है अमिट पहचान उनकी, याद हर बलिदान है

सर कटाना है गवारा पर झुकेगा सर नहीं
हर जुबाँ पर गीत क़ौमी, ये तिरंगा शान है

बाइबिल, गुरु ग्रन्थ साहिब, वेद ओ’ क़ुरआन है
नाम सबके हैं अलग पर, एक सबका ज्ञान है

राष्ट्र का हो नाम ऊँचा, क़ौमी यकजहती रहे
फ़िक़्र में सबके वतन हो, बस यही अरमान है

ख़ाक बन हिमकर इसी माटी में रहना चाहता
गूँजता सारे जहाँ में हिन्द का यश गान है

© हिमकर श्याम

4 Comments · 515 Views
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