ऐ बलिदानी,अमर सैनानी,कोटि कोटि है नमन तुम्हे
ऐ बलिदानी,अमर सैनानी,
कोटि कोटि है नमन तुम्हे,
अटल निश्चयी,अनशन कारी,
है तेरी बलिहारी,
सौंपा जो तुमने,आजाद चमन ।
राजशाही से तुमने टकरा के
तानाशाही से मुक्त कराके,
शिक्षित होने का देके सन्देश हमें।
निर्धन जनता थी शोषण में,
तब तुम शाक्षरता के दूत बने।
घर घर जाकर, सन्देश दिया,
कुप्रथा कुरीती का विरोध किया,
तुमने न विश्राम किया,
राजशाही के बिरुद्ध काम किया।
पकड तुम्हे,तब दे दिया कारवास
तुमने तबभी न छोडी आस,
जुल्म के खिलाफ संघर्ष का स्वरुप बदल दिया,
अनशन तुमने तब शुरु किया,
पल बीते,दिन बीते,बीत गये दो मास,
पर न छोडा तुमने अपना उपवास।
इतिहास रच गये दिन चौरासी का,
फिर त्याग दी अन्तिम सांस।
राजशाही तब घबरा के
फेंक दिया शव भिलंगना पे,
परिजन बंचित रहे अन्तिम दर्शन को,
बात पहुँची जन जन को,
चल पडे आजादी के दिवाने
कफन बान्ध आहुति देने को।
राजशाही तब कांप गयी,
सत्ता गयी, यह भांप गयी,
बलिदान तुम्हारा न ब्यर्थ गया,
हमें मिली आजादी,नाम तुम्हारा अमर हो गया।