Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Sep 2016 · 2 min read

ऐसे चमकेगा विश्व में भारत का नाम

भारत और दूसरे देशों के मित्रों के बीच एक मीटिंग हुई । चर्चा थी देश के बारे , सभी ने अपने अपने देश के बारे तर्क दिए , सभी ने कहा भारत के लोगों में तो दम ही नहीं वे पिछड़े है और पिछड़े रहेंगे ।

काफी देर चुप रहने के बाद उस व्यक्ति ने कहा भारत सदियों से सोने की चिड़िया था आज भी है और कल भी रहेगा । विश्व के कई देश व्यापारिक रूप से भारत के लोगों पर निर्भर है । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत में व्यापार के लिए बहुत ही बड़ा मार्किट है । रही बात भारत के पिछड़ेपन की भारत नहीं पिछड़ा बल्कि यहाँ के लोगों की मानसिकता पिछड़ी है । दूसरे देशों के लोग काम को ही जूनून मानते है एवं एन्जॉय करने के लिए उनकी एक दिनचर्या है जिससे उनका जीवन तनावरहित रह पाता है । परन्तु भारत के लोगों के पास ऊर्जा दूसरे देशों के लोगों की 200 प्रतिशत है परन्तु वे अपनी ऊर्जा काम करने में नही बल्कि व्यर्थ की सोच , तनाव एवं निंदा चुगली एवं खुद , खुद के समाज एवं खुद देश के बारे में नकारात्मक बाते करने में गुजार देते हैं । इतना सब कुछ करने के बाद उनके पास ऊर्जा ही नहीं रहती तो वे नया रचनात्मक कैसे करेंगे , वे पुराने को ही क्रियात्मक ढंग से नहीं कर पाते । रही बात फैशन की तो विदेशों में तो चलता है शोंक और भारत में चलता है साँसों की जरूरत जिस कारण से प्रत्येक मध्यम वर्गीय इंसान महंगे मोबाइल , महँगे कपड़े , महंगे घर के अन्य फ़िज़ूल शोंक में खुद की ऊर्जा , धन एवं समय व्यर्थ कर खुद को तनाव के घेरे में ले लेता है फिर उसे बिमारियों का बुलावा आ जाता है । आजकल एक नई बीमारी मोबाइल और उस पर इंटरनेट की चल गई है दूसरे देश के लोग काम के वक़्त काम और मस्ती के वक़्त मस्ती करेंगे परन्तु हमारे भारत में काम के वक़्त इन्टरनेट चैट वगैरा में मशगूल बाकि वक्त में एन्जॉय या आराम ।तो रचनात्मक के लिए न बचा समय और ऊर्जा ।
उस व्यक्ति में करारे जवाब में कहा आज बेशक इन्टरनेट चैटिंग , फेसबुक , व्हाट्स एप्प या अन्य फैशन के हथियारों की गलत फहमी के सुकून में लोग उलझे हैं लेकिन जिस दिन मेरे भारत के लोग फैशन , चैटिंग एवं निंदा चुगली आदि नकारात्मक बीमारियों से निकलकर अपनी पूरी ऊर्जा जो कि दूसरे देशों के लोगों के 200 प्रतिशत के बराबर है लगाने लग गये । उस दिन कोई भी देश भारत के आस पास भी नहीं भटकेगा ये मेरा वादा है । देखो वो आदमी भारत आ कर कब लोगों को समझाता है और कम मेरा भारत बदलने लगता है ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 419 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from कृष्ण मलिक अम्बाला
View all
You may also like:
वो ख्वाब
वो ख्वाब
Mahender Singh
*तुम  हुए ना हमारे*
*तुम हुए ना हमारे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गम के बादल गये, आया मधुमास है।
गम के बादल गये, आया मधुमास है।
सत्य कुमार प्रेमी
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
Dr Tabassum Jahan
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
Sanjay ' शून्य'
Winner
Winner
Paras Nath Jha
वन  मोर  नचे  घन  शोर  करे, जब  चातक दादुर  गीत सुनावत।
वन मोर नचे घन शोर करे, जब चातक दादुर गीत सुनावत।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
चौखट पर जलता दिया और यामिनी, अपलक निहार रहे हैं
चौखट पर जलता दिया और यामिनी, अपलक निहार रहे हैं
पूर्वार्थ
छाया हर्ष है _नया वर्ष है_नवराते भी आज से।
छाया हर्ष है _नया वर्ष है_नवराते भी आज से।
Rajesh vyas
सावन साजन और सजनी
सावन साजन और सजनी
Ram Krishan Rastogi
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
Neelam Sharma
मित्रता का मोल
मित्रता का मोल
DrLakshman Jha Parimal
सब कुछ यूं ही कहां हासिल है,
सब कुछ यूं ही कहां हासिल है,
manjula chauhan
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
Dr MusafiR BaithA
💐Prodigy Love-40💐
💐Prodigy Love-40💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुखदाई सबसे बड़ी, निद्रा है वरदान (कुंडलिया)*
सुखदाई सबसे बड़ी, निद्रा है वरदान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ
10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ
Ajay Kumar Vimal
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
वो दिल लगाकर मौहब्बत में अकेला छोड़ गये ।
Phool gufran
एक अदद इंसान हूं
एक अदद इंसान हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
3157.*पूर्णिका*
3157.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
Kshma Urmila
माँ का महत्व
माँ का महत्व
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुक्तक
मुक्तक
दुष्यन्त 'बाबा'
नग मंजुल मन भावे
नग मंजुल मन भावे
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
हर शेर हर ग़ज़ल पे है ऐसी छाप तेरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
Struggle to conserve natural resources
Struggle to conserve natural resources
Desert fellow Rakesh
हे राम ।
हे राम ।
Anil Mishra Prahari
कुछ लोग हेलमेट उतारे बिना
कुछ लोग हेलमेट उतारे बिना
*Author प्रणय प्रभात*
होली
होली
Dr Archana Gupta
जेठ का महीना
जेठ का महीना
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Loading...