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13 Jan 2019 · 1 min read

“ऐसी है मेरी पतंग “

आसमान के उपर,
इधर उधर लहराती है.
धागे से तनी हुई,
ऐसी है मेरी पतंग…

रंग रंगिली छैन छबिली,
हलकी फुलकी,छोटी बडी.
कभी इधर कभी उधर,
ऐसी है मेरी पतंग…

लाल कालि नीली पीली,
डोर ना छोडो उसकी ढिली.
तेज हवा से वो डरती है,
ऐसी है मेरी पतंग…

मकर संक्रांती को आती है,
सब के मन वो भाती है.
छोटे बच्चो की पसन्द,
ऐसी है मेरी पतंग…

Language: Hindi
279 Views
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