Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Feb 2019 · 5 min read

ऐसी बातें जो पालकों को अपने बच्चों से कभी नहीं कहनी चाहिए

नमस्कार माननीय पाठकों ।

मेरा यह मानना है कि सभी माता-पिता अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के साथ ही इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि उनका बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त कर एक काबिल इंसान बन सके ।

माता-पिता की जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभा पाना संभवत: इस दुनिया का सबसे कठिन काम है, ऐसा माना जाता है और मैंने पढ़ा भी है, पर मेरी नजर में ऐसा नहीं है क्यों कि आपने पाठकों यह तो सुना ही होगा कि “मुश्किल नहीं है गर ठान लीजिए” हम यदि अपने बच्चों के स्वभाव को बचपन से ही पहचानते हुए उन्हें वैसे ही प्यार से समझाया जाय तो वे बिल्कुल समझने का प्रयास करेंगे ।

छोटे बच्चे बोलें तो किसी के भी हों बहुत ही कोमल होतें हैं, जैसे हम एक पौधे को सींचते हैं तो वह धीरे-धीरे बड़ा होता है और फिर फल-फूल के रूप में सफलता हासिल होती है । ठीक ऐसे ही फूल से बच्चों को माता-पिता बचपन से ही उनके व्यवहार को समझते हुए प्यार से सही-गलत का ज्ञान कराते हुए संस्कार प्रदान करें क्योंकि प्रथम चरण की शिक्षा घर से ही प्रारंभ होती है। । मैं मानती हूं कि आज की पीढ़ी के बेटे-बेटी थोड़े शरारती होते हैं पर हम उन्हें अपनी तरह से ज्ञानवर्द्धक कहानियां सुनाकर उन्हें प्रेरित करते हुए सिखाया जा सकता है ।

आजकल तो बच्चों को तीन वर्ष से ही स्कूल में प्रवेश दिलाया जाता है और शैक्षणिक शिक्षा भी शुरू हो जाती है, बिचारे ठीक से बड़े भी नहीं हो पाते और ना ही उतनी समझ होती है । आजकल अधिकतर माता-पिता कामकाजी होने के कारण अपने बच्चों को समय भी कम ही दे पाते हैं और मैं आपको बताऊं पुणे, मुंबई और बेंगलूर जैसे स्थानों पर एक तो ट्राफिक जाम अक्सर देखा गया है तो सुबह से माता-पिता ड्यूटी पर जाते हैं और सीधे शाम को घर पहुंचते हैं । यहां तक कि कभी-कभी बच्चे माता-पिता से मिल भी नहीं पाते हैं और या तो वे आया के भरोसे या दादा-दादी और नाना-नानी के साथ ही रहते हैं । फिर बिचारे बच्चे माता-पिता के प्यार से वैसे ही वंचित रहते हैं तो माता-पिता अपनी-अपनी स्थितियों के हिसाब से सामंजस्य स्थापित करते हुए बच्चों को अच्छे आचरण वाले सदव्यवहार सिखाने की कोशिशें करें ।

लेकिन फिर भी कई बार बच्चों को ये लगने लगता है कि उनके माता-पिता को तो उनके लिए समय ही नहीं है, और जब माता-पिता मिलते हैं तो उन्हें लगता है कि केवल अब उनकी ही सुनेंगे और बच्चे को प्यार देने के साथ ही कई बार वे जिद्दी हो जाते हैं और मार भी खाते हैं, जिसका परिणाम गलत हो सकता है और जैसा कि हम देख रहे हैं कि गुस्से में आकर कई बार गलत कदम भी उठा लेते हैं । ऐसी स्थिति निर्मित ना हो इसके लिए माता-पिता का बच्चों के साथ थोड़ा सख्त व्यवहार करना भी जरूरी है, लेकिन उससे पूर्व कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जिन्हें कभी भी अपने बच्चे से नहीं कहना चाहिए, चलिए जान लेते हैं कि वह बातें कौन-कौन सी है ।

बच्चे से भूलकर भी न कहें ये बातें

1. कभी भी अपने बच्चे के साथ स्वयं की तुलना मत कीजिए । जैसे जब मैं तुम्हारे जितना था तो तुमसे लाख गुना अधिक जिम्मेदार था और हमारे माता-पिता को हमारे कारण कोई परेशानी नहीं हुई । अपने आप से अपने बच्चे की तुलना करना बहुत गलत बात है । बात-बात पर अपने बच्चे की तुलना करना सही नहीं है । इससे उसका मनोबल और आत्मविश्वास तो कम होगा ही और उसे आप ही उसके सबसे बड़े दुश्मन नजर आने लगेंगे ।

2. माता-पिता द्वारा अपने बच्चे को उसकी गलतियों पर बार-बार टोकना सही है, लेकिन उससे ये कभी न कहें कि वो जो कुछ भी करता है या करती है गलत ही होता है । तुम्हारा हर फैसला गलत होता हैै, ऐसा कहने पर वो आपसे बातें छिपाने लगेगा या फिर झूठ बोलना शुरू कर देगा ।

3. कभी भी माता-पिता को अपने बच्चे की तुलना उसी के छोटे या बड़े भाई-बहन से करना नहीं करना चाहिए । अक्सर देखा गया है कि बच्चे से बोला जाता है कि तुम अपने भाई-बहन जैसे क्यों नहीं हो? ऐसा कहने से बच्चा अपने ही भाई-बहन को अपना दुश्मन समझना शुरू कर देगा । हर बच्चे में अलग-अलग काबिलियत होती है तो कभी भी अपने बच्चों के साथ तुलना नहीं करना चाहिए । आप यही देखिए क्या हमारे हाथों की पांचों उंगलियां बराबर हैं ? नहीं ना फिर बच्चे कैसे एक जैसे हो सकते हैं ? बताईए ।

4. यदि आपका बच्चा आपका कहना नहीं मानता है, तो माता-पिता को भूलकर भी अपने बच्चे से ये नहीं कहना चाहिए कि मुझे अकेला छोड़ दो । आपके ऐसा कहने पर वो खुद को उपेक्षित महसूस कर सकता है या ये भी हो सकता है कि वो डिप्रेशन में चला जाए । उसे लगेगा कि कोई भी उसकी बात सुनने वाला नहीं है ।

5. कभी भी माता-पिता को अपने बच्चे से यह भी नहीं कहना चाहिए कि हमें तुम्हारी वजह से शर्मिंदा होना पड़ा । आपके द्वारा कहा गया ये वाक्य आपके बच्चे के आत्म-सम्मान को तो ठेस पहुंचा सकता है साथ ही वो डिप्रेशन में भी जा सकता है ।

6. हर बच्चे के लिए उसके दोस्त बहुत खास होते हैं. ऐसे में अगर आप किसी बच्चे से ये कहते हैं कि उसके दोस्त खराब हैं और उसे उनके साथ रहना छोड़ देना चाहिए तो आपकी ये बात बच्चे को दुखी कर सकती है. माता-पिता भूलकर भी अपने बच्चे से अपने दोस्तों का साथ छोड़ दो , ऐसा ना कहें तो अच्छा है ।

7. माता-पिता को अपने बच्चे को किसी भी तरह का प्रलोभन नहीं देना चाहिए कि उनसे यह कहना कि तुम ऐसा करोगे या अच्छे नंबर लाओगे तो तुम्हें उपहार दिया जाएगा, यह ठीक नहीं होगा आगे चलकर उसकी आदत हो जायेगी । बच्चे को प्रलोभन के माध्यम से नहीं अपने मन से कोई कार्य करने दिजीये ।

8. माता-पिता को अपने बच्चे को किसी भी प्रकार से डराने धमकाने वाले बातें भी नहीं कहना चाहिए कि तुमने यह माना नहीं तो तुम्हें सजा मिलेगी, ऐसा कहने से वह आपके डर से अकेले में कुछ भी कर सकता है ।

यह तो हो गयी मुख्य बातें, इन सबमें मेरा मानना है कि माता-पिता स्वयं कुछ अपने में भी परिवर्तन लाने की कोशिश करें कि अपने बच्चे को किस प्रकार विकसित करना हैं, सोचें और फिर वैसी शिक्षा देने का प्रयास करें । बच्चे जो जीवन में देखते हैं वहीं सीखते हैं तो आप अपने से शुरू करें , जैसे उदाहरण के लिए आप ही मोबाइल फोन का उपयोग अधिक करेंगे तो आपकी देखा-देखी बच्चा अवश्य ही करेगा । आप जिस वातावरण में रहते हैं बच्चे को वैसी ही आदतें लगती हैं, अतः अकेले बच्चे को दोष ना देकर स्वयं में भी परिवर्तन लाने की कोशिश करें । मेरा मानना है कि हम दूसरों से जो अपेक्षाएं रखते हैं तो अपना मूल्यांकन पहले करें कि हम भी वास्तव में हैं क्या वैसे, फिर हम बिचारे बच्चे से बिल्कुल खरे उतरने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ? हम तो बच्चे को बस सही राह बता सकते हैं ताकि वह अपनी जिंदगी में एक काबिल इंसान बन सके ।

” बच्चे छोटे रहते हैं तो शरारतें करते ही हैं” फिर हम कहते भी हैं बच्चे शरारतें और मस्ती नहीं करेंगे तो क्या बड़े करेंगे । धीरे-धीरे बच्चे अपने बचपन की दुनिया से बाहर निकलकर बड़े होते हैं और उम्र के साथ साथ सब समझने लगते हैं ।

फिर पाठकों कैसा लगा मेरा लेख, बताइएगा जरूर, मुझे आपकी आख्या का इंतजार रहेगा ।

धन्यवाद आपका ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 190 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Aarti Ayachit
View all
You may also like:
विश्व पुस्तक मेला
विश्व पुस्तक मेला
Dr. Kishan tandon kranti
💐अज्ञात के प्रति-54💐
💐अज्ञात के प्रति-54💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
कितना रोके मगर मुश्किल से निकल जाती है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
दुनिया को ऐंसी कलम चाहिए
दुनिया को ऐंसी कलम चाहिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
Buddha Prakash
* भोर समय की *
* भोर समय की *
surenderpal vaidya
आओ मिलकर हंसी खुशी संग जीवन शुरुआत करे
आओ मिलकर हंसी खुशी संग जीवन शुरुआत करे
कृष्णकांत गुर्जर
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
अनिल कुमार
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
Shweta Soni
आगोश में रह कर भी पराया रहा
आगोश में रह कर भी पराया रहा
हरवंश हृदय
पुलवामा वीरों को नमन
पुलवामा वीरों को नमन
Satish Srijan
बड़े ही फक्र से बनाया है
बड़े ही फक्र से बनाया है
VINOD CHAUHAN
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
कितना आसान होता है किसी रिश्ते को बनाना
कितना आसान होता है किसी रिश्ते को बनाना
पूर्वार्थ
#ॐ_नमः_शिवाय
#ॐ_नमः_शिवाय
*Author प्रणय प्रभात*
ए रब मेरे मरने की खबर उस तक पहुंचा देना
ए रब मेरे मरने की खबर उस तक पहुंचा देना
श्याम सिंह बिष्ट
नया सवेरा
नया सवेरा
नन्दलाल सुथार "राही"
संतुलन
संतुलन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
झोली फैलाए शामों सहर
झोली फैलाए शामों सहर
नूरफातिमा खातून नूरी
शहर में नकाबधारी
शहर में नकाबधारी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
पुस्तक समीक्षा - अंतस की पीड़ा से फूटा चेतना का स्वर रेत पर कश्तियाँ
पुस्तक समीक्षा - अंतस की पीड़ा से फूटा चेतना का स्वर रेत पर कश्तियाँ
डॉ. दीपक मेवाती
प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!
प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!
Kuldeep mishra (KD)
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
22)”शुभ नवरात्रि”
22)”शुभ नवरात्रि”
Sapna Arora
कोई कैसे ही कह दे की आजा़द हूं मैं,
कोई कैसे ही कह दे की आजा़द हूं मैं,
manjula chauhan
हिंदी दोहा- महावीर
हिंदी दोहा- महावीर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
2524.पूर्णिका
2524.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रणक्षेत्र बना अब, युवा उबाल
रणक्षेत्र बना अब, युवा उबाल
प्रेमदास वसु सुरेखा
वक्त से पहले..
वक्त से पहले..
Harminder Kaur
Loading...