एहसास
एहसास
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एहसास तो बस
महसूस कराता है,
एहसास का एहसास भी
दिल से होता है,
सुख,दुःख, खुशी या ग़म
अपने पराए,दोस्त दुश्मन
सब महसूस करने पर ही
एहसास होता है।
बेरंग, बेस्वाद
परंतु महसूस तो होता है,
कभी चाहकर,कभी बिना चाहे
चाहकर भी इससे
भाग कर जा नहीं सकते,
अपने से दूर कर नहीं सकते।
एहसास निर्गुण निराकार है,
जितना भी चाहो
ये छोड़ता नहीं,
एहसास का एहसास
कभी मिटता नहीं।
◆सुधीर श्रीवास्तव