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30 Jun 2020 · 1 min read

” एहसान मंद “

खाना बनाते हुये मीरा को बगल की खिड़की से हु हु की आवाज़ सुनाई दी पलट कर देखा तो एक बंदरिया अपने नन्हे से बच्चे को छाती से चिपकाये हुये हु हु करके पुकार रही थी…मीरा ने अपनी बेटी से कहा देखो इसको भी पता है की यहाँ खाना पक रहा है और आवाज़ लगा कर अपने बच्चे के लिए खाना माँग रही है तू रोटी के डिब्बे से दो रोटी उसको दे दे…मम्मी मुझे डर लग रहा है…मीरा हँसती हुई रोटी लेकर दरवाज़ा खोल कर रोटी निचे रख दरवाज़ा बंद कर देती है और शीशे से देखती है बंदरिया आकर रोटी उठा आधी तोड़ बच्चे को पकड़ाती है और बाकी रोटी पकड़ वापस खिड़की पर बैठ जाती है , मीरा वापस रसोई में आ जाती है उसको रसोई में आता देख बंदरिया जाने लगती है मानो ये कहने के लिए रूकी हो की तुम्हारी दी रोटी मुझे मिल गई है ये देख न जाने क्यों मीरा की आँखों के कोर भीग जाते हैं…वो सोचने लगी क्या ये जानवर भी एहसास मानते है ?

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/06/2020 )

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 332 Views
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