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4 Jun 2017 · 1 min read

एक स्वप्न

एक तरइया पापी देखे
दो दिखें चण्डाल को ।
तीन तरइयाँ राजा देखे
सब दिखें संसार को ।

होश संभाला जब से मैंने
तब से गगन निहारा ।
अंधियारा आने के पहले
नज़र पड़ा इक तारा ।

बिना पलक झपकाये मुझको
दिखे घूरता प्रतिदिन।
मेरे पापी होने का
आभास कराता निशदिन।

तीन तरैयाँ एक मुश्त हो
देख न पाया अब तक।
राजा होने का सपना मन
आखिर पाले कब तक ?

तभी अचानक सूर्य अस्त पर
देखे पाँच सितारे ।
नृप हरिश्चंद्र के तीन और
दो चाण्डाली तारे ।

वर्तमान में अब भी देखूँ
नील गगन में तारे ।
शायद तीन तरैयाँ दिखकर
बदले भाग्य हमारे ।

Language: Hindi
323 Views
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