एक विचार यह भी “लघु लेख”
भगवान् नहीं कहते मुझे दूध मिठाई पैसे सोना चाँदी चढाओ
यह हमारी श्रद्धा भावनाएं हैं
भोले नाथ को दूध से अभिषेक मत करो दूध बरवाद होता है
मिठाई कौन खाते है ?
भगवान नहीं
भक्त नहीं
पंडित मंदिर के मालिक हाँ
अब सही पहलू यह है
लोटे में जल ले उसमें थोडा दूध मिलाए और भोले का अभिषेक करें बाकी दूध आप उपयोग करें।
विडम्बना है कि आज संस्कृति पर प्रहार हो रहा है
दीवाली मत मनाओ प्रदूषण होगा
होली मत मनाओ पानी बरवाद होगा
दूध मत चढाओ फालतू फिकेगा
बाकी के लिए कोई बंधन नही
सकारात्मक सोच सकारात्मक कार्य सार्थक होगा
त्यौहार सब मनाओ लेकिन समय अनुसार संशोधन करें
जय श्री कृष्णा राधे राधे