Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Nov 2019 · 1 min read

एक बूंद का सफर

एक बूँद थी जो उठी
धरा के आगोश से ,
चढ़ गई बादलों संग
आकाश में,
प्रवाह नहीं वजूद की,
सुरक्षित बादलों की गोद थी
उड गये होड
चमक जो एक विशेष थी,
बादलों की बादलों से भेंट थी,
अपने लिए तो धरा विशेष थी,
काँपने लगा वजूद
अब चिंता खास थी,
मैं जीवन के लिये विशेष थी,
भले एक बूँद थी,
हर मोती मुझसे,
हर जवाहर खवाहिश मुझसे,
मै जल में वायु में अग्नि भी औकात में
पृथ्वी मुझसे अपरिमित आकाश मुझसे,
अफ़सोस मुझे मेरी पैदाइश ने
नोंच डाला, मार डाला, बिन परीक्षा तोल डाला,

लेखक: डॉक्टर महेन्द्र सिंह

Language: Hindi
5 Likes · 1 Comment · 569 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
एक अदद इंसान हूं
एक अदद इंसान हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Miracles in life are done by those who had no other
Miracles in life are done by those who had no other "options
Nupur Pathak
जीवन के गीत
जीवन के गीत
Harish Chandra Pande
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
असली दर्द का एहसास तब होता है जब अपनी हड्डियों में दर्द होता
प्रेमदास वसु सुरेखा
पुत्र एवं जननी
पुत्र एवं जननी
रिपुदमन झा "पिनाकी"
*गीत*
*गीत*
Poonam gupta
.....*खुदसे जंग लढने लगा हूं*......
.....*खुदसे जंग लढने लगा हूं*......
Naushaba Suriya
जंगल, जल और ज़मीन
जंगल, जल और ज़मीन
Shekhar Chandra Mitra
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मच्छर दादा
मच्छर दादा
Dr Archana Gupta
हम ख़फ़ा हो
हम ख़फ़ा हो
Dr fauzia Naseem shad
Khud ke khalish ko bharne ka
Khud ke khalish ko bharne ka
Sakshi Tripathi
🙅समझ जाइए🙅
🙅समझ जाइए🙅
*Author प्रणय प्रभात*
संत कबीर
संत कबीर
Lekh Raj Chauhan
इक पखवारा फिर बीतेगा
इक पखवारा फिर बीतेगा
Shweta Soni
Transparency is required to establish a permanent relationsh
Transparency is required to establish a permanent relationsh
DrLakshman Jha Parimal
*बात-बात में बात (दस दोहे)*
*बात-बात में बात (दस दोहे)*
Ravi Prakash
मात्र नाम नहीं तुम
मात्र नाम नहीं तुम
Mamta Rani
ਅੱਜ ਮੇਰੇ ਲਫਜ਼ ਚੁੱਪ ਨੇ
ਅੱਜ ਮੇਰੇ ਲਫਜ਼ ਚੁੱਪ ਨੇ
rekha mohan
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
कवि दीपक बवेजा
तारों के मोती अम्बर में।
तारों के मोती अम्बर में।
Anil Mishra Prahari
दान की महिमा
दान की महिमा
Dr. Mulla Adam Ali
पढ़ते है एहसासों को लफ्जो की जुबानी...
पढ़ते है एहसासों को लफ्जो की जुबानी...
पूर्वार्थ
घड़ी
घड़ी
SHAMA PARVEEN
यह मेरी इच्छा है
यह मेरी इच्छा है
gurudeenverma198
सौंदर्यबोध
सौंदर्यबोध
Prakash Chandra
"अकेले रहना"
Dr. Kishan tandon kranti
क्यों हिंदू राष्ट्र
क्यों हिंदू राष्ट्र
Sanjay ' शून्य'
बहुत कुछ था कहने को भीतर मेरे
बहुत कुछ था कहने को भीतर मेरे
श्याम सिंह बिष्ट
कृतज्ञता
कृतज्ञता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...