*”एक धागा विश्वास का”*
“एक धागा विश्वास का”
सुमित्रा की शादी को 30 साल हो गए हैं लेकिन भाई की कलाई पर राखी बांधने का इंतजार करती बाट जोह रही है …. ! ! !
सुमित्रा के दो बहन सरिता ,सुमन पास के ही शहर में रहते थे लेकिन सुमित्रा शहर से दूर रहने के कारण कुछ न कुछ पारिवारिक कारणों से श्रावण माह की पूर्णिमा रक्षाबंधन पर्व पर भाई की कलाई पर राखी बांधने का सुअवसर नहीं मिला।
हर साल कुछ न कुछ ऐसा हो जाता राखी के त्यौहार ने न भाई सुमीत आता और न ही सुमित्रा भाई को राखी बांधने मायके जा पाती राखी बंद लिफाफे में ही पोस्ट कर देती लेकिन सुमित्रा हर बार यही सोचती रहती कभी न कभी ऐसा मौका अवसर आयेगा जब भाई की कलाई पर खुद राखी बांधकर उसकी आरती उतारेगी उसका मुँह मीठा करवाकर उसे ढेर सारा शुभ आशीर्वाद देगी उसकी बलैया लेगी।
काश ….! भाई मेरे द्वारे पे आकर राखी बंधवाए या स्वयं मायके जाकर भाई की कलाई पर राखी बांधे …..! ! !
ऐसे ही साल गुजरते ही गए ……! ! !
श्रावण माह आते ही सुमित्रा बाजार जाती सबसे अच्छी राखी अपने मनपसंद करके खरीदकर लाती और मन ही मन उस राखी को देख सोचती जाती ईश्वर से प्रार्थना करती भैया की कलाई पर सजकर ये राखी बड़ी बहन का मान रखेगा भाई को हमेशा खुश रखेगा उसकी कामनाओं को पूरा करेगा भले ही हम कितने दूर रहते हो लेकिन अंतरात्मा से एक दूसरे के साथ है भाई बहन का अगाध प्रेम विश्वास लिए उस राखी को भेज देती ।
एक अदभुत बात भाई की कलाई पर वो राखी साल भर बंधे रहती थी जब दूसरी राखी सुमित्रा दीदी की जाती तभी वह पुरानी राखी उतार कर अलग करता …
सुमित्रा को राखी लिफाफे में भेजना भी बहुत अच्छा लगता क्योंकि ऐसे तो भाई बहनों में बातें फोन पर हो ही जाती लेकिन चिठ्ठी पत्री याने कागज पर लिखे हुए शब्दों का अपना अलग महत्व होता है चिठ्ठी पढ़ने में अलग ही आनंद आता माता पिता भी चिट्ठी पढ़ खुश हो जाते भले ही दो लाइन की चिट्ठी हो।
सुमित्रा माता पिता को सकुशल समाचार बताते हुए भाई ,बहुरानी को शुभ आशीर्वाद देते हुए, भतीजे -भतीजी को स्नेह लाड दुलार करते हुए कोरे कागज पर पत्र लिखती मायके की पुरानी बातों को याद करते हुए नैन भिंगोते हुए पत्र लिखती सुंदर राखी ,कुंकुम रोली ,अक्षत ,रखते हुए जब लिफाफे में घर का पता लिखती तो ऐसा महसूस करती मानो खुद राखी बांधने जा रही हो।
बस यही सुखद एहसास लिए हुए राखी पोस्ट कर देती, कभी कभी राखी पोस्ट करने में लेट हो जाती तो सुमित्रा के पिताजी कहते कि पास वाले सभी बेटियां सरिता ,सुमन की राखी आ गई लेकिन दूर वाली सुमित्रा बेटी की राखी पहुँचने में देर हो जाती है …..
सुमित्रा को भी लगता दूर रहने के कारण जल्दी राखी पोस्ट कर देना चाहिए ।
अब सुमित्रा अपने भाई सुमीत को राखी जल्दी पोस्ट कर देती है ताकि पिताजी को शिकायत का मौका न भी न मिले।
रक्षाबंधन का यह पावन पर्व भले ही राखी के दिन भाई बहनों के पवित्र रिश्ते को प्रेम में बांधे रखता है लेकिन जरूरी नही है कि खुद अपने ही हाथो से राखी बांधी जाए।
राखी रक्षा सूत्र रेशमी धागों का पवित्र धागा है जिसे बहन बेटी बहू या पंडित जी कोई भी हाथों की कलाई पर बांधता है।
सुमित्रा आज 30 साल बाद भी बहुत खुश है क्योंकि सुमीत भाई को हर साल बंद लिफाफे में जो राखी भेजती है उसमें जो आत्मीय प्रेम रिश्ते की अटूट विश्वास बंधी हुआ है बस यही सोचकर सुमित्रा राखी के दिन भाई से ढेर सारी बातें करके नैनो से खुशियों की आँसू बहाते हुए पवित्र धागों के साथ अटूट विश्वास जगाये हुए है।
कच्चा धागा रेशम की डोर
रिश्ता बांधे मजबूती से अंनत प्रेम जिसका ओर न छोर
निश्चल प्रेम अटूट विश्वास
संग रहे कभी छुटे न साथ इच्छा पूरी हो टूटे न आस
कुमकुम रोली अक्षत दीपक
हाथों में लेके पूजा थाल सजाये
सालों से बाट जोह रही भैया की ….! ! !
जय श्री कृष्णा जय श्री राधेय?
शशिकला व्यास✍️