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12 Oct 2016 · 1 min read

एक तुच्छ बूँद सा जीवन दे दो

फसल खड़ी है खेतो मे
उष्णता उन्हे जलाती है
धधक रही है धरती भी
पर बूँद नज़र नही आती है||

किनारे बैठ मै देख रहा
बच्चे जो मेरे झुलस रहे
दिन तपन लिए जब आता है
रात तारो से भर जाती है||

पक्षी भी तड़फ़ उठे अब तो
चातक भी थक कर चूर हुआ
धरती भी प्यासी है कब से
बरसात क्यो नही आती है||

मै भी तेरा ही एक अंश हू
अंश को थोड़ा जीवन दे दो
एक झलक दिखा दो बदली की
एक तुच्छ बूँद सा जीवन दे दो||

तुम्ही से जग की घटा निराली
तुम से ही वन मे हरियाली
तर्पण जो थोड़ा तुम कर दो
तो दूर हो ये बदहाली||

अगर तेरे कोई उपर है
कोई तेरा सर्वेस्वर है
तो उससे जाकर तू कह दे
कि वो मेरा भी ईश्वर है||

Language: Hindi
378 Views
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