Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2017 · 1 min read

एक तानाबाना बुन कर देखो न

एक तानाबाना बुन कर देखो न

एक तानाबाना बुनकर देखो न
मेरे आँगन में तुमने क़दम रखा
अब थोड़ा चलकर देखो न
तुम मुझसे गुज़र कर देखो न

मेरी दुनिया बस छोटी सी है
मुझ से होकर तुम तक ही है
मेरी दुनिया में आ कर देखो न
तुम इसे सज़ा कर देखो न

हमने जीवन में जो सपने बुने
रस्ते में रुक कर जो गुहर चुने
उन मोती से जो माला बने
तुम धागा बन कर देखो न

मैं बैठा हूँ प्यासा कब से
भूखा हारा खारा कब से
अपनी मीठी मुस्कानों से
तुम हाला बन कर देखो न

तुम आयी हो संध्या सी है
मन में मेरे जिज्ञासा भी है
मन के अंदर के अंधेरे में
तुम दीप जला कर देखो न

तुम मुझसे लिपटकर देखो न
तुम मुझमें सिमट कर देखो न
मैं थोड़ा और सुलझ जाऊँ
तुम मुझसे उलझ कर देखो न

यतीश ५/११/२०१७

Language: Hindi
Tag: गीत
445 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज फिर उनकी याद आई है,
आज फिर उनकी याद आई है,
Yogini kajol Pathak
वाह मेरा देश किधर जा रहा है!
वाह मेरा देश किधर जा रहा है!
कृष्ण मलिक अम्बाला
हर बार नहीं मनाना चाहिए महबूब को
हर बार नहीं मनाना चाहिए महबूब को
शेखर सिंह
नारी
नारी
Dr Archana Gupta
पेट भरता नहीं है बातों से
पेट भरता नहीं है बातों से
Dr fauzia Naseem shad
पर्यावरण प्रतिभाग
पर्यावरण प्रतिभाग
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
💐प्रेम कौतुक-509💐
💐प्रेम कौतुक-509💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
हर एक चोट को दिल में संभाल रखा है ।
Phool gufran
Wishing power and expectation
Wishing power and expectation
Ankita Patel
कद्र जिनकी अब नहीं वो भी हीरा थे कभी
कद्र जिनकी अब नहीं वो भी हीरा थे कभी
Mahesh Tiwari 'Ayan'
पत्नी की खोज
पत्नी की खोज
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
कवि रमेशराज
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
-: चंद्रयान का चंद्र मिलन :-
-: चंद्रयान का चंद्र मिलन :-
Parvat Singh Rajput
चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जिन्दगी हमारी थम जाती है वहां;
जिन्दगी हमारी थम जाती है वहां;
manjula chauhan
मुक्तक -*
मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कौन जिम्मेदार इन दीवार के दरारों का,
कौन जिम्मेदार इन दीवार के दरारों का,
कवि दीपक बवेजा
अंधा वो नहीं होता है
अंधा वो नहीं होता है
ओंकार मिश्र
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
Anis Shah
एक औरत रेशमी लिबास और गहनों में इतनी सुंदर नहीं दिखती जितनी
एक औरत रेशमी लिबास और गहनों में इतनी सुंदर नहीं दिखती जितनी
Annu Gurjar
मैं फक्र से कहती हू
मैं फक्र से कहती हू
Naushaba Suriya
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*Author प्रणय प्रभात*
"गुमान"
Dr. Kishan tandon kranti
2316.पूर्णिका
2316.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कितनी प्यारी प्रकृति
कितनी प्यारी प्रकृति
जगदीश लववंशी
सावन
सावन
Ambika Garg *लाड़ो*
अंधेरे का डर
अंधेरे का डर
ruby kumari
थक गये है हम......ख़ुद से
थक गये है हम......ख़ुद से
shabina. Naaz
*अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गज
*अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गज
Ravi Prakash
Loading...