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30 Oct 2017 · 1 min read

“एक तरफ तुम हो रस है”

प्रिये तुम्हारी यादों को मैं,
वंदन करके झूम गया।
खत लिखकर मैंने फिर उसका,
अक्षर अक्षर चूम लिया।।
याद हुई अगणित वह बातें,
जो सपनों ने गढ़ रखीं थी।
पर सम्मुख जब तुम आए तो,
कुछ भी कहना भूल गया ।।

एक तरफ तुम थे जीवन में,
रस की नदियां बहती थीं।
संकट के भी कालचक्र में,
सब विपदाएं टलती थीं।।
पार कभी इस सरिता के,
जाना स्वीकार नहीं मुझको।
जब पारावार हृदय का हो,
कस्ती का ध्यान कहां किसको।।

प्रेम एक अनकही चुभन है,
मैंने यह पहचान लिया।
सागर से भी गर्भित जीवन का,
आशय मैंने जान लिया।।
त्याग क्षमा सुख पीड़ा में भी,
स्वयं सम्भलना सीख लिया,
पल-पल में सौ-सौ जीवन का ,
जीना मैन सीख लिया ।।

Language: Hindi
1 Comment · 403 Views
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