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1 Jun 2018 · 2 min read

एक चेहरा

एक चेहरा!
प्रकृति वसुधा परिवेश पर्यावरण
पीड़ा में रहें हैं कबसे पुकार।
अब तो अति हो गई मानव,
अपना व्यवहार सुधार।

रात को पर्यावरण पर कुछ लिखते लिखते सो गई और सपनों ने अपने आँचल में मुझे ले लिया।हरा भरा उपवन, लहलहाते वृक्ष, कलरव करते पक्षी और पास ही स्वच्छ निर्मल अविरल बहती नदी,मैं नदी के शीतल जल में पाँव डालकर बैठी ही थी कि अचानक एक चेहरा सा सारी प्रकृति को दर्शाता नज़र आया और जैसे माँ समझाती है वैसे स्वर में मुझसे कहने लगा-
“सुना है भारत इस साल यानि 5 जून,2018 को विश्व पर्यावरण दिवस का वैश्विक मेजबान होगा और इस वर्ष आयोजन की थीम ‘‘प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति’’ है।”
मैंने कहा जी सही सुना है आपने हमारे प्रधान मंत्री पर्यावरण सरंक्षण हेतु यह कार्य कर रहें हैं।हर वर्ष 5 जून से 16 जून तक पर्यावरण पूरे उत्साह से मनाया जाता है।इन दिनों खूब वृक्ष रोपण होता है, जिसमें 5 जून का विशेष महत्व है।”
वो चेहरा बोला-“किंतु पर्यावरण संरक्षण हेतु महज़ नियम या कानून लागू करने से कुछ नहीं होगा बल्कि तूम सभी को इसे स्वयं के शरीर में किसी लाईलाज रोग के उपचार के रूप में देखना होगा/उपचार शुरु करना होगा नहीं तो यह महामारी बनकर तुम्हारी आने वाली पीढ़ी को भी नहीं बख्शेगा अपितु तब तक तो यह अपनी जड़ें और भी मजबूत कर लेगा।तूम सब तो फिर भी बहुत लंबा जीवन जी चुके हो, पर आने वाली पीढ़ी को विरासत में तुम अल्प आयु और अकाल मृत्यु ही दे रहें हो।”और तभी मेरी आँख खुल गई नींद से भी और अज्ञानता से भी अतः यदि हम सब मिलकर इसके अकल्पनीय एवं भयानक परिणामों
के बारे में सोचेंगे तभी इसका निदान संभव है।
अंततः
तू बनादे वातावरण शुद्ध और हर प्राणी को आरोग्य।
ले प्रण तू वसुधा को प्रदुषण मुक्त कर बनायेगा रहने योग्य।
निस दिन तेरे बढ़ते प्रदूषण से सुलग रही है मां धरती।
पर्यावरण भौतिक वातावरण का द्योतक चमकेगा तेरा भाग्य।

नीलम शर्मा……✍️

Language: Hindi
1 Like · 243 Views
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