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21 Feb 2021 · 1 min read

एक गुलाब

एक गुलाब हमारा भी था,
जो खिला था उनके चमन में ।
प्रेम सें सींचा गया,
विश्वास की खाद से,
पोषित हुआ हमारा प्रेम भी ।
एक गुलाब हमारा भी था,
उनके चमन में।

—- डां. अखिलेश बघेल —-
दतिया ( म. प्र. )

Language: Hindi
1 Like · 370 Views
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