Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2017 · 3 min read

एक कहानी हो

मैं चाहता हूँ
तेरी मेरी
सिर्फ तेरी मेरी
एक कहानी हो
चाहे सिर्फ एक ही हो
पर हो तेरी मेरी
जिसमे वो ना हो
जिसमे इंकार ना हो
जिसमे जिंदगी सा लम्बा इंतजार ना हो
मेरे शिवा उसमें कोई शुमार ना हो
और तुझे भी मेरी तरह मुझपे एतबार हो
ना हो तो बस तेरा इंकार
हो अगर इंकार भी
तो वो हो मुझसे कभी जुदा होने से इंकार
तो वो हो मेरे दिल से मेरी सांसो से जाने से इंकार
तो वो हो मेरे सिवा किसी को दिल में बसाने से इंकार
हकीकत में ना सही
सपनो में ही हो…..
पर एक कहानी हो
सिर्फ एक कहानी हो

मैं चाहता हूँ
तुझे ही देखूँ
तुझे ही सोचूं
खुद को तुझे सोंप दूँ
खुद को तुझपे लुटा दूँ
तुझे जिंदगी में खुशियों की जगह पाऊँ
तेरी नजरों में मेरा इंतजार पाऊँ
तेरी यादों में मदहोश हो जाऊं
अगर तुझसे दूर होने का ख्वाब भी आये
तुझे भूल जाने का ख्याल भी आये
आँखों में तेरी तस्वीर जो धुँधलाए
उससे पहले आँखे मेरी
हमेशा के लिए बंद हो जाएँ
तू न सही तेरा सपना तो साथ हो
सच ना हो चाहे भ्रम तो साथ हो
चाहे ये शौदा मेरी जिंदगी के साथ हो
पर एक कहानी हो
सिर्फ एक कहानी हो

मैं चाहता हूँ
मैं तेरे साथ हों
तू मेरे साथ हो
और हो पहाड़ों कि वादियों का आँचल
जिसमें बैठूं मैं तुम्हारे साथ जरा सटकर
और महसूस करें हम हवाओं की सनसनाहट को
उलझा जाये शरद हवा जब तेरी जुल्फों को
मैं सवारूँ उन्हें प्यार से
और तुम निहारो मुझे उन्हें संवारते हुए
मैं हवा से कुछ कहूं
और हवा तुमसे
और मैं समझूँ तुम्हें बिन कहे
बोलना चाहें जब होठ
तो रख कर उनपे ऊँगली उन्हें चुप कराऊं
पत्तो कि सरसराहट संगीत दे खामोश नगमों को
उन नग्मों में तेरी कहानी हो
पर एक कहानी हो
सिर्फ एक कहानी हो

मैं चाहता हूँ
कुछ तमन्नाएं हो
तेरे भी दिल में
मेरे भी दिन में
दूर पहाड़ी पर
घर हो एक सपनो का
जिसके आँगन में बैठ
तारों सजी रात में
तुम देखो सामने पहाड़ी पर
झिलमिलाती दुल्हन सी सजी नगरी को
और मैं कल्पना करूँ तुम्हारे दुल्हन रूप की
और खुद पर इतराऊँ
जो हो रात चांदनी
तुम देखो चाँद को
और मैं देखूं अपने चाँद को
जो कभी इतरा कर ढक लें घटाएँ अपने चाँद को
मैं हटा दूं जुल्फें
चेहरे से तुम्हारे
चकोर को भी चाहे फिर भ्रम हो
पर एक कहानी हो
सिर्फ एक कहानी हो

मैं चाहता हूँ
तेरी गोद में सर रखूं
तेरी जुल्फों से खेलूं
निहारूं तेरे चेहरे की चमक को
महसूस करूं तेरे बदन की खुशबू को
खुल के हंसूं तेरे साथ बैठ कर
और गुनगुनाऊँ तेरे साथ बैठ कर
भूल जाऊं ज़माने को तेरी पलकों में बैठ कर
तेरे मन में सिर्फ मेरी तस्वीर हो
तड़पे तू भी याद् में मेरी और चोट का बहाना हो
मैं लिखूं कविता तेरे लिए
और उस कविता में तेरी कहानी हो
पर एक कहानी हो
सिर्फ एक कहानी हो
पर एक कहानी हो
सिर्फ एक कहानी हो
सिर्फ तेरी मेरी
एक कहानी हो
मैं चाहता हूँ
एक कहानी हो
एक…… #कहानी…… हो…….

कवि- सतीश चोपड़ा

Language: Hindi
580 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बादल बनके अब आँसू आँखों से बरसते हैं ।
बादल बनके अब आँसू आँखों से बरसते हैं ।
Neelam Sharma
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
कविता-मरते किसान नहीं, मर रही हमारी आत्मा है।
Shyam Pandey
जिन्दगी से शिकायत न रही
जिन्दगी से शिकायत न रही
Anamika Singh
सभी कहें उत्तरांचली,  महावीर है नाम
सभी कहें उत्तरांचली, महावीर है नाम
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
झूठी है यह सम्पदा,
झूठी है यह सम्पदा,
sushil sarna
5 किलो मुफ्त के राशन का थैला हाथ में लेकर खुद को विश्वगुरु क
5 किलो मुफ्त के राशन का थैला हाथ में लेकर खुद को विश्वगुरु क
शेखर सिंह
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
दो किसान मित्र थे साथ रहते थे साथ खाते थे साथ पीते थे सुख दु
कृष्णकांत गुर्जर
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ६)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ६)
Kanchan Khanna
पहाड़ी भाषा काव्य ( संग्रह )
पहाड़ी भाषा काव्य ( संग्रह )
श्याम सिंह बिष्ट
*हनुमान जी*
*हनुमान जी*
Shashi kala vyas
मित्र बनाने से पहले आप भली भाँति जाँच और परख लें ! आपके विचा
मित्र बनाने से पहले आप भली भाँति जाँच और परख लें ! आपके विचा
DrLakshman Jha Parimal
कुण्डलिया-मणिपुर
कुण्डलिया-मणिपुर
दुष्यन्त 'बाबा'
दिल में है जो बात
दिल में है जो बात
Surinder blackpen
हम भी तो चाहते हैं, तुम्हें देखना खुश
हम भी तो चाहते हैं, तुम्हें देखना खुश
gurudeenverma198
"क्या बताऊँ दोस्त"
Dr. Kishan tandon kranti
पीक चित्रकार
पीक चित्रकार
शांतिलाल सोनी
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं हमेशा अकेली इसलिए रह  जाती हूँ
मैं हमेशा अकेली इसलिए रह जाती हूँ
Amrita Srivastava
कब तक अंधेरा रहेगा
कब तक अंधेरा रहेगा
Vaishaligoel
चैन से जी पाते नहीं,ख्वाबों को ढोते-ढोते
चैन से जी पाते नहीं,ख्वाबों को ढोते-ढोते
मनोज कर्ण
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
फितरत
फितरत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
तुझे नेकियों के मुँह से
तुझे नेकियों के मुँह से
Shweta Soni
हम हिंदुओ का ही हदय
हम हिंदुओ का ही हदय
ओनिका सेतिया 'अनु '
नारी
नारी
Dr Archana Gupta
■ आज की सोच...
■ आज की सोच...
*Author प्रणय प्रभात*
*तपसी वेश सिया का पाया (कुछ चौपाइयॉं)*
*तपसी वेश सिया का पाया (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
कारवां गुजर गया फ़िज़ाओं का,
कारवां गुजर गया फ़िज़ाओं का,
Satish Srijan
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
वाल्मिकी का अन्याय
वाल्मिकी का अन्याय
Manju Singh
Loading...