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3 Jul 2021 · 1 min read

“एक और दंगल”

“एक और दंगल”
?‍?________?‍?

एक अमीर ,
दो को कर, गरीब;
पता नही अब ,
वो जायेगा,
किसके करीब।

हम दोष दें,
किसको आखिर,
जब सामने हो,
बड़ा शातिर।

देख के भी तो,
कुछ सीखो,
किस्मत अपनी,
अच्छी लिखो।

धर्म और संस्कार,
मत भूलो,
खौफनाक को,
कभी मत कबूलो।

खुद तो हो जाते,
सदा ओझल,
देश, समाज पर,
बन कर बोझल।

वैसे जो होता,
अच्छा ही होता,
जैसी लिखी किस्मत,
वैसी ही हो खिदमत।

जो सब है लोभी,
लालच में डूबा,
अच्छा है वो,
अगर बने अजूबा।

वो खुशी से,
होगा अब मंगल,
फिर दिखेगा,
एक और दंगल।
………………….
एक और दंगल….

……✍️पंकज “कर्ण”
…………..कटिहार।

Language: Hindi
6 Likes · 2 Comments · 964 Views
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