एक अभागे नन्हे पंछी की दास्तान
विगत दिनों एक प्यारी सी चिड़िया ने ,
मेरे हाथो में अपना दम तोड़ा ।
सच बताऊं बहुत दर्द दिल में हुआ ,
इस अंदेशे से भी कही बिचुड़ा ना हो कोई जोड़ा।
बहुत कोशिश की उसका उपचार हो जाए ,
चाहे जैसे भी हो उसकी जान बच जाए ।
मगर वो बचती भी कैसे गली के खूंखार आवारा ,
कुत्तों ने सीधा गर्दन पर वार किया था ।
नन्ही सी थी गर्दन उसकी ,
हाय! कैसे उसे दबोचा था।
उसकी चोंच में से निकली कराह की ध्वनि ,
मैने सुनी थी ।
मरणासन्न पंछी की अंतर्वेदना भी मैंने सुनी थी ।
मालूम नहीं क्यों और कैसे वो बदकिस्मत ,
उड़ते हुए नीचे आई थी ।
सड़क पर पड़ा बरसात का पानी पीकर ,
बेचारी प्यास अपनी बुझा रही थी ।
मार झपट्टा उसे दांतों से दबा ले जा रहे थे दुष्ट कुत्ते ,
हमने उनसे किसी तरह छुड़ाया भी ,
मगर बहुत देर हो चुकी थी ।
उस जीव आत्मा को अपनी पंछी की जून से ,
मुक्ति मिल चुकी थी ।
तत्पश्चात हमने उसे बगीचे में दफना दिया।
और दुख से भारी मन लेकर घर को आ गए ।
और उसकी मुक्ति के लिए ईश्वर को याद किया।