एकल नहीं संयुक्त परिवार बनाइए
एकल नहीं संयुक्त परिवार चाहिए,
भारतीय संस्कृति पर फिर से आइए।
माता-पिता से दूर मत ,अपना आशियाना बनाइए।
बुढ़ापा आया उन पर ,तुम्हारा साथ चाहिए।।
कितने मजबूत हुआ करते थे रिश्ते,
आपस के हमारे।
पढ़िए संस्कृति जरा, उन पर गौर तो फरमाइए।।
माना विकास जरूरी है, पर यह क्या मज़बूरी है।
रिश्तो में बंध गई जो गांठ,
मिल बैठकर उसे सुलझाइए।।
न तुम न ही कोई कुछ साथ ले जाएगा,
अनुनय प्रेम से बड़ा कुछ नहीं जगत में,
चाहे आप धन कितना ही कमाइए।।
*** तो आइएं***
एकल नहीं संयुक्त परिवार बनाइए।।
राजेश व्यास अनुनय