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5 Jan 2017 · 2 min read

“एंटीने वाली कहानी”?

“अब साफ़ आया???
नहीं झर झर आ रहा है…
थोड़ा सा और टेढ़ा कर
हाँ हाँ अब ठीक है
आजा अब नीचे….”
हर घर की छत की “एंटीने वाली कहानी” है ये
सारे HD चैनल एक तरफ और कान मरोड़-मरोड़ के चलने वाले शटर वाले डब्बे का बेरंग सा दूरदर्शन एक तरफ…. :D :*
बांध के रखता था सबको… न भांति भांति के चैनल न भांति भांति के सीरियल :D कम होकर भी दम था एक- एक शो में… :)
आज के मुख्य समाचार.. अब समाचार विस्तार से…
और “अब कुछ खेल समाचार” साड़ी वाली आंटी के बस इतना कहते ही कुछ सुकून सा मिलता था.. 9 बजे वाले शो का इंतज़ार जो होता था :D
“चंद्रकांता की कहानी ये माना थी पुरानी
ये पुरानी होकर भी बड़ी लगती थी सुहानी”
“यकक्कु……” सबसे ख़ास लगता था वो ;)
देख भाई देख… फिलिप्स टॉप टेन के दो भाई और दस गाने :D
और वो चटक रंगों वाली रंगोली जो सुबह-सुबह मन रंगीन कर देता था… और “चित्रहार” शाम :) (4-5 ब्लैक एन्ड वाइट गाने के बाद आने वाला एक नया गाना “शो स्टॉपर” का काम करता था) :)
छुट्टियों में आने वाला “छुट्टी-छुट्टी” छुट्टियां होने का पूरा अहसास करवाता था…
“सी आई ई टी” ले कर आता था “तरंग-तरंग”
और “टर्रम-टू-टर्रम-टू-टर्रम-टू” :D
“सुरभि” और उसकी इनामी प्रतियोगिया का “पोस्टगार्ड” वाला पहाड़… (हम भी भेजा करते थे जवाब पर हाय री किस्मत….) :( ?
और सबसे ज्यादा यादगार “मिले सुर मेरा तुम्हारा” के साथ साथ सुर मिलाना…. ???
और “एक चिड़िया अनेक चिड़िया” के साथ फुर्रर्रर्रर्रर्रर…. हो जाना ??
हर सन्डे 4 बजे वाली फ़िल्म को फर्स्ट डे फर्स्ट शो वाले फील के साथ ही देखते थे…लेकिन वो रात की फ़िल्म में हर दो मिनिट में आने वाले ऐड कसम से सारा मजा किरकिरा कर देते थे :/?
शक्तिमान की तरह रात दिन घूमने से मना करते करते बेचारी माँ का सर ही घूम जाता था.. (पर हम न मानते थे सुपर हीरो जो था हमारा) :)
“चड्डी पहन के खिला वो फूल” कूद फांद कर सबको महका ही देता था… ?(मोगली तुम बहुत याद आते हो) :(
हर रविवार सुबह 9 बजे “श्री कृष्णा…………..” का वो राग जब गूंजता था पूरा मौहल्ला “द्वारका” हो जाता था… :) और रामायण देखते हुए अम्मा का हाथ जोड़ के यूं बैठती थी ज्यूँ साक्षात् राम दर्शन दे रहे हो…:D
तहकीकात के गोपी और सेमडीसील्वा की जासूसी,
व्योमकेश बख्शी,डक टेल्स,अल्लाह दीन,अलिफ़ लैला, मालगुडी डेज,तेनालीराम,विक्रम-बेताल हर शो कितना “शांति” से देखते थे “हम लोग”….??
अब हो कर भी खो गया वो दूरदर्शन
सोच रही हूँ रपट लिखवा दूँ….
पता है….
“गुमशुदा तलाश केंद्र
नयी कोतवाली
दरियागंज
नई दिल्ली- 110002
दूरभाष-3276200”

पता तो सही लिखा है न चेक कर लीजिये ;)

“इंदु रिंकी वर्मा” ©

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 2 Comments · 415 Views
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