*”उड़ते परिंदे “*
“उड़ते परिंदे’
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सूर्य उदित हो उजली किरणें
दो परिंदे हसीन वादियों में ,
हौसलों की उड़ान भरते ,
स्वछंद आकाश की ओर
अंनत यात्रा की ओर चले।
शांति दूत पैगाम लेकर उड़ते हुए
प्रकृति की खुली फिजाओं में ,
स्वच्छंद उड़ते हुए नील गगन ,
एक छोर से दूसरी छोर तक
छू लेते आसमान को
हौसला हिम्मत बढ़ाकर ,
सुकून के पलों को ढूढ़ते उड़ते।
शांति दूत पैगाम लेकर उड़ते हुए
ऊँची पहाड़ियां हरी भरी धरती,
खुद को नई दिशा दिखलाते
आज खुले आसमान में ,
शांति का पैगाम देकर
दूर देश से उड़ते हुए आते।
शांति दूत पैगाम देते उड़ते हुए
संदेश वाहक बन कर,
जहां दो पल सुकून से बैठ
दाना खाना पानी को तलाशते,
दूर गगन की छाँव
प्रकृति को निहारते हुए ,
फिर से आने का वादा करते।
शांति दूत पैगाम लेकर उड़ते हुए
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शशिकला व्यास✍️