उस सुबह हम झूम के नाचेंगे
जब भूखे बच्चे भर पेट अन्न को खाएंगे
जब माएं अपने बच्चों के जिस्म के चीथड़े न समेटेगी
जब घूटी हुई सांसों को लेकर किसान न पेड़ पे लटकेगा
स्कूलों से जब कोई बच्चा फिस केलिए न खदेड़ा जाएगा
युवाओं के कंधों पे जीवन बोझ न धरा होगा
युवानियों को घर से निकलने में जब न कोई खतरा होगा
उस सुबह हम झूम के नाचेंगे
जब वो सुबह हमारे द्वारे होगी…