“”उस मां को ही क्यों भूल गए””
उस मां को ही क्यों भूल गए , उदर में जिसने पाला।
उदर में जिसने पाला तुमको ,पहला दिया निवाला।।
उस मां को——————————————-।
(१)
ऐ मंदिर मंदिर चौखट चौखट, अर्जी कितनी लगाई ।
पुत्र रत्न दे दो मुझे ईश्वर, बनूं मै उसकी माई।
मन्नत पूरी करी प्रभु ने,पुण्य घड़ी थी आई।
जन्म देकर माता उस दिन, थी कितनी हरसाई।
आज वही मां तरस रही,तुमने मुंह पे लगाया ताला ।
उस मां को ही क्यों भूल गए, उदर में जिसने पाला ।।
(२)
ऐ मां से बड़ा न कोई जगत में, कहना मेरा मानो ।
किस कारण से नाता तोड़ा, कारण वह पहचानो।
मां तो भूखी रहे तुम्हारी ,बेकार तुम्हारो कमानो।
दर-दर भटक रही है वह जो ,वापस घर है लानो।
हर रिश्तो में मां का दर्जा, सबने बताया आला ।।
उस मां को ही क्यों भूल गए ,उदर में जिसने पाला ।।
राजेश व्यास अनुनय