Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2020 · 2 min read

उसके लिए राष्ट्र से बढ़कर कुछ भी नही

उसके लिए राष्ट्र से बढ़कर कुछ भी नहीं

#पण्डितपीकेतिवारी

उसके लिए देश से बढ़कर कुछ भी नहीं।

जिस वक्त राष्ट्र प्रधानमंत्री जी के एक छोटे से अनुरोध का अनुसरण कर रहा था जिस वक्त सारा देश तालियों,थालियों और शंखनाद की गूंज से राष्ट्र के उन तमाम डॉक्टर्स/नर्सेस/स्टॉफ इत्यादि का अभिवादन और हौसला आज़फाई कर रहा था ठीक उसी वक्त देश का एक कूड़े बीनने वाला सबसे निचले तबके का शख़्स भी इस का हिस्सा बना।

आश्चयर्जनक था मैं ये दृश्य देखकर वाकई!…
उसे मालूम भी नहीं कि उसका इससे दूर-दूर तक कोई नाता है भी या नहीं। क्योंकि जब सारा दिन उसे बाहर ही रहना कूडे में ही रहना, रेलवे स्टेशन,बस स्टेशन नालियों के आसपास ही कूड़ा बीनना तो उसके लिए क्या कोरोनो और क्या कोई वायरस।

सोचें उसके लिए वो पांच मिनट कितने महत्वपूर्ण रहे होंगे? दिन-भर कर्फ्यू था, इस दिन उसने कोई कूड़ा मिला भी होगा की नहीं जिससे उसे शाम को दो जून की रोटी नसीब होनी थी। मगर उसका ज़ज़्बा काबिले तारीफ.. अद्भुत…..अविश्वमरणीय ..अतुलनीय…..

ये उन तमाम गुटों और गुटों से जुड़े कुंठित लोगो के मुँह पर तमाचा था जो हर बात में पॉलिटिक्स घुसेड़ने की कोशिश करते हैं जिन्हें हर अच्छे चीज़ में गलत निकालने का कीड़ा रहता है, ये उनके मुह पर भी तमाचा है- जो खाते इस देश का हैं पीते भी इसी देश का मगर मामूली सी तकलीफ में जिन्हें इतनी तकलीफ हो जाती है जिसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।

देश के हित में कोई भी सरकार गलत नहीं चाहती। हाँ ये मसला अलग है कि हर किसी का काम करने का तरीका अलग होता है, हालांकि देश पिछले कई सालों से लुटता आया है।

कुठाराघात जैसी बात है ही और ऐसे लोग देश को खोखला करने की तमाम कोशिशें करते हैं। एक पत्रकार/रिपोर्टर/एंकर महाशय लगभग डेली सवेरे-सवेरे हगते समय कुछ भी पोस्ट लिखता है जिसका ध्येय हमेशा एकतरफा ही रहता है आजतक उन पोस्टों में एकरूपता देखने को नहीं मिली और उसके हरेक पोस्ट में वही गंध भी आती है सूंघने वाले सूंघते रहते हैं और कुछेक को वो गंध में इतनी मिठास लगती है कि वो बस उसी का गुणगान करने लगता है।

हमें सीखना होगा बड़ो से तो कभी छोटों से भी, अमीर से कुछ तो थोड़ा गरीब से भी, कुछ ऊँचाई से तो गहराई से भी बहुत कुछ। देश के संविधान और कानून से बढ़कर कुछ नहीं, इस बात को समझना और समझाना ही राष्ट्र हित में सर्वोपरि होगा।

Language: Hindi
Tag: लेख
206 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध
संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध
Shashi Dhar Kumar
Bahut hui lukka chhipi ,
Bahut hui lukka chhipi ,
Sakshi Tripathi
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
जो सब समझे वैसी ही लिखें वरना लोग अनदेखी कर देंगे!@परिमल
DrLakshman Jha Parimal
नई रीत विदाई की
नई रीत विदाई की
विजय कुमार अग्रवाल
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
Harminder Kaur
टेढ़ी ऊंगली
टेढ़ी ऊंगली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दुम कुत्ते की कब हुई,
दुम कुत्ते की कब हुई,
sushil sarna
■ बड़ा सच...
■ बड़ा सच...
*Author प्रणय प्रभात*
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
"चांदनी के प्रेम में"
Dr. Kishan tandon kranti
!! पलकें भीगो रहा हूँ !!
!! पलकें भीगो रहा हूँ !!
Chunnu Lal Gupta
हर पल ये जिंदगी भी कोई ख़ास नहीं होती।
हर पल ये जिंदगी भी कोई ख़ास नहीं होती।
Phool gufran
जब याद मैं आऊंँ...
जब याद मैं आऊंँ...
Ranjana Verma
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
Kuldeep mishra (KD)
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
अब मुझे महफिलों की,जरूरत नहीं रही
पूर्वार्थ
अर्थार्जन का सुखद संयोग
अर्थार्जन का सुखद संयोग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
यादों के जंगल में
यादों के जंगल में
Surinder blackpen
किस्मत
किस्मत
Neeraj Agarwal
पालनहार
पालनहार
Buddha Prakash
आप सभी सनातनी और गैर सनातनी भाईयों और दोस्तों को सपरिवार भगव
आप सभी सनातनी और गैर सनातनी भाईयों और दोस्तों को सपरिवार भगव
SPK Sachin Lodhi
मैं तो महज आईना हूँ
मैं तो महज आईना हूँ
VINOD CHAUHAN
2246.🌹इंसान हूँ इंसानियत की बात करता हूँ 🌹
2246.🌹इंसान हूँ इंसानियत की बात करता हूँ 🌹
Dr.Khedu Bharti
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
हिन्दी ग़ज़ल के कथ्य का सत्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
तुम वादा करो, मैं निभाता हूँ।
अजहर अली (An Explorer of Life)
*अभी तो रास्ता शुरू हुआ है.*
*अभी तो रास्ता शुरू हुआ है.*
Naushaba Suriya
न गिराओ हवाओं मुझे , औकाद में रहो
न गिराओ हवाओं मुझे , औकाद में रहो
कवि दीपक बवेजा
*****आज़ादी*****
*****आज़ादी*****
Kavita Chouhan
मैं ज्योति हूँ निरन्तर जलती रहूँगी...!!!!
मैं ज्योति हूँ निरन्तर जलती रहूँगी...!!!!
Jyoti Khari
Loading...