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24 Jun 2020 · 1 min read

उलझन

मन अशांत है,
हृदय व्याकुल है ,
अब्धि मौन है ..
शब्द बिखरे है,जीवन के पन्नों पर !!
नेत्रों में धुंध है ,
लब खामोश है ,
सांसे सहमी है …
धौनकी धमनियों की शिथिलता पर !!
जिह्वा निष्क्रिय है,
कर्ण स्पंदहीन है,
जज्बात उमड़े है ..
कई अपूर्ण सपनो के दस्तावेज पर !!
कम्पन मद्धम है,
सांसे निदाघ है,
अधर प्यासा है
तपती धूप की,इस मरूभूमि पर !!
संगति एकांत है ,
आयाम स्थिर है,
कर्म ढूढ़ता है..
क्या पुष्प चढ़ेंगे,मेरी भी कब्र पर !!
विभावरी सूनी है ,
प्रमान निस्तेज है ,
चैतन्य अज्ञात है ..
प्रेम उलझन में ,मौत के फर्श पर !!

( पूर्णतया स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित )
राहुल पाल

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 655 Views
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