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21 Sep 2016 · 1 min read

उरी तो टीसेगी

मुदद्तों कहीं गहरी ये उरी तो टीसेगी|
पीठ पर चली है जो वो छुरी तो टीसेगी |

कूटनीति की बातें और कुछ सियासत भी,
मालकां तेरी ऐसी चातुरी तो टीसेगी |

कीमतें लगाते हैं जान की गँवाई जो ,
चार कागजों की ये पांखुरी तो टीसेगी|

चीथड़े हुये वां वो जिस्म औ यहाँ कुनबा ,
वो तड़प यहाँ होकर झुरझुरी तो टीसेगी |

सरहदें बहुत चीखीं रात भर कराहीं हैं,
चैन से बजी सबकी बांसुरी तो टीसेगी |

सुदेश कुमार मेहर

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