उम्मीद का दामन
इश्क़ में उम्मीद का दामन,छोड़िए न भूल से यारा।
डूबते को मिल जाता कभी,यूँ ही तिनके का सहारा।
क़िस्मतों के खेल हैं होते,अनोखे हैं ग़जब निराले।
या एक बूँद न मिले पानी,या मिले गंगा की धारा।
हौंसलों ने कब सीखा झुकना,काफिले बनते चले सदा।
मंज़िल को आरज़ू से कभी,अपने दिल में है उतारा।
मुस्क़राके हरपल बिताना,दोस्तों हार जाएंगे ग़म।
फूलों से कब किया है सुनो,रूठ ख़ूशबू ने किनारा।
अवसर मिले छोड़ो नहीं रे,है ख़ुदा का प्रसाद समझो।
ज़िंदगी चमकेगी इस तरह,गगन में चमके ज्यों तारा।
मोहब्बत एक बड़ी दौलत,सुनले यार तू ये प्रीतम!
जिसको ये मिले तो समझिए,हुआ है जन्नते-नज़ारा।
********राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”**********
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मात्राए..16-15-16-15