Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Sep 2021 · 3 min read

उम्मीद – कहानी

उम्मीद – कहानी

एक परिवार जिसमें दिवाकर चौहान और उसकी पत्नी रहते हैं | यह एक मध्यमवर्गीय परिवार है | दिवाकर जी एक सरकारी कर्मचारी है और इनका अपना खुद का मकान है जिसे इन्होंने लोन लेकर बनवाया है | शादी के 35 वर्ष बाद भी इन्हें संतान का सुख नहीं मिला | मकान की छत पर एक कमरा बनवा दिया किराएदार के लिए |
विशाल एक शिक्षक है जो दिवाकर जी के मकान में किराए से रहने के लिए आता है | विशाल की पहली पोस्टिंग विज्ञान विषय के शिक्षक के रूप में हुई है | विशाल बेहद शालीन है | उसके व्यवहार से दिवाकर जी और उनकी पत्नी प्रभावित होते हैं | उन्हें विशाल के बारे में जानकार दुःख होता है कि उसने बचपन में ही अपने माता – पिता को खो दिया था और उसके जीवन एक अनाथ आश्रम में गुजरा था | उसके बाद दिवाकर जी व उनकी पत्नी विशाल में ही अपनी संतान को खोजने लगते हैं | सुबह शाम उसकी आवश्यकताओं का ख्याल रखना और उसको समय-समय पर विभिन्न आयोजनों में शामिल करना शुरू कर देते हैं | विशाल भी दिवाकर जी एवं उनकी पत्नी में अपने माता पिता की छवि देखने लगता है और उनका सम्मान करने लगता है | विशाल का जीवन एक अनाथ आश्रम में गुजरा था उसे अपने माता-पिता के न होने का आभास था |
तीन वर्ष बीत गए इसी बीच साथ में ही काम करने वाली एक शिक्षिका श्रुति ने विशाल के सामने शादी का प्रस्ताव रखा | विशाल श्रुति की भावनाओं का सम्मान करता था सो उसे शादी के लिए हां कर देता है | दिवाकर व उसकी पत्नी विशाल का विवाह बड़ी धूमधाम से करते हैं घर में बहू आती है घर की रौनक बढ़ जाती है | बहू के हाथों की चूड़ियों की खनक और पायल का मधुर संगीत घर को खुशियों से भर देता है |
श्रुति को विशाल के बारे में पूरी जानकारी होती है किंतु वह अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की वजह से विशाल से शादी करती है उसका प्रमुख कारण थे उसके माता – पिता | वे विशाल को अपना घर दामाद बनाना चाहते हैं क्योंकि श्रुति के घर में उसके माता-पिता के अलावा कोई नहीं है | श्रुति विशाल पर घर – जमाई बनने का दबाव डालती है और “उम्मीद” करती है कि विशाल उसका साथ दे | किंतु विशाल इस पर उसे स्पष्ट शब्दों में घर जमाई बनने से इंकार कर देता है | विशाल जानता है कि उसके इस फैसले से दिवाकर जी व उनकी पत्नी जिन्हें वह अपने माता – पिता की तरह सम्मान देता है उनकी “आशाओं” पर पानी फिर जाएगा | श्रुति नाराज होकर अपने मायके चली जाती है |
इधर विशाल सोच में पड़ जाता है कि करे तो क्या करे | वह अपनी समस्या को दिवाकर जी व उनकी पत्नी के सामने रखता है वे विशाल को बहुत ही सुन्दर सुझाव देते हैं | एक सप्ताह बाद विशाल अपने ससुराल पहुंचकर श्रुति और उसके मम्मी – पापा को किसी बहाने से अपने साथ ले आता है और दिवाकर जी के घर के बाजू में जो नयी कॉलोनी है उसके एक नए मकान के सामने ला खड़ा कर देता है | श्रुति को कुछ समझ नहीं आता | विशाल श्रुति के मम्मी – पापा को इस नए मकान के गृह प्रवेश के लिए कहता है और बताता है कि हमने यह नया मकान आपके लिए लिया है ताकि आप हमारे नजदीक रहें और मैं और श्रुति आप दोनों की भी सही तरीके से देखभाल कर सकें | इससे हम दोनों परिवार एक दूसरे के पास रहेंगे जिससे श्रुति , हम तुम्हारे मम्मी- पापा और मेरे मम्मी – पापा का भी ख्याल रख सकेंगे | एक बात और श्रुति , ये सुझाव मेरे मम्मी – पापा ने ही मुझे दिया था | श्रुति अपने आंसू नहीं रोक पाती है और वह दिवाकर जी एवं उनकी पत्नी के चरणों में पड़ जाती है वे उसे अपने सीने से लगा लेते हैं | श्रुति विशाल के सीने से लिपट जाती है | दोनों खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगते हैं |

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 649 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
बेटा तेरे बिना माँ
बेटा तेरे बिना माँ
Basant Bhagawan Roy
*सुख या खुशी*
*सुख या खुशी*
Shashi kala vyas
मेरा जीवन बसर नहीं होता।
मेरा जीवन बसर नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
*हंगामा करने वाले, समझो बस शोर मचाते हैं (हिंदी गजल)*
*हंगामा करने वाले, समझो बस शोर मचाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
'आप ' से ज़ब तुम, तड़ाक,  तूँ  है
'आप ' से ज़ब तुम, तड़ाक, तूँ है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
Behaviour of your relatives..
Behaviour of your relatives..
Suryash Gupta
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी  का,
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी का,
Yogendra Chaturwedi
* बातें मन की *
* बातें मन की *
surenderpal vaidya
सोनेवानी के घनघोर जंगल
सोनेवानी के घनघोर जंगल
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
💐प्रेम कौतुक-257💐
💐प्रेम कौतुक-257💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
औरों के संग
औरों के संग
Punam Pande
कितना कुछ सहती है
कितना कुछ सहती है
Shweta Soni
उम्मीद कभी तू ऐसी मत करना
उम्मीद कभी तू ऐसी मत करना
gurudeenverma198
God is Almighty
God is Almighty
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नदी की बूंद
नदी की बूंद
Sanjay ' शून्य'
पढ़ने को आतुर है,
पढ़ने को आतुर है,
Mahender Singh
दो शे'र ( चाँद )
दो शे'र ( चाँद )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
3067.*पूर्णिका*
3067.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भाग्य - कर्म
भाग्य - कर्म
Buddha Prakash
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
Neelam Sharma
ज़िंदगी क्या है ?
ज़िंदगी क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
दीवारें ऊँचीं हुईं, आँगन पर वीरान ।
Arvind trivedi
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - २)
Kanchan Khanna
रंगीन हुए जा रहे हैं
रंगीन हुए जा रहे हैं
हिमांशु Kulshrestha
कुछ लोग हेलमेट उतारे बिना
कुछ लोग हेलमेट उतारे बिना
*Author प्रणय प्रभात*
मशाल
मशाल
नेताम आर सी
"भलाई"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...