उम्मीदों के अफीम खिलायेगे कब तक
उम्मीदों के अफीम खिलायेगे कब तक
रेत पर आशियाना बनायेंगे कब तक
मासूम बच्चे की तरह दुनिया मे यारो
खिलौना देकर बहलायेगे कब तक
हमेशा किसी का ज़माना नहीं रहता
ये जहरीले लफ्ज़ फरमायेगे कब तक
एक ठोकर ही काफी है संभलने को
अपनी मक्कारी से उलझाएगे कब तक
सोचती है”नूरी”वक्त का हालात ये
नफ़रतो के चमन में ठहरायेंगे कब तक
नूरफातिमा खातून”नूरी”