उफ्फ उनका घमण्ड
उफ्फ उनका घमण्ड
तेरा घमण्ड तुझे ही मुबारक हो कहते है,,,,
हम तो भोले भाले पंछी कभी तो पेडों
पर कभी तो जमीन पर रहते है।।
तुम इतराते बहुत हो अल्प ज्ञान को पाकर,,,
हम तो जिंदगी भर सीखने की चाहत रखते है,,,
रहती है तुम्हे हमारे हर पल की खबर,,,
हम नीलगगन के आजाद परिंदे क़भी
सीमा नापा नही करते हैं।
मैं पूछती हूँ तुमसे ?है किस पर तुम्हे गुरुर,,,
दिखते है जो दूर से हरे भरे तरु कभी कभी
वो भी अंदर से खोखले हुआ करते है।
रोते थे तुम जब हम ही दिलासा दिया करते
थे,,सच ही कहा है किसी ने
लोग एहसान फ़रामोश हुआ करते है।
सुनो सोनु को तेरे घमण्ड से कोई फर्क नही पड़ता,,,
हम वो है जो किसी के दम पर जिया नही करते है।
गायत्री सोनु जैन