Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2019 · 1 min read

उन्होने चाट फेंका क्यों

मैं ठेले के किनारे दाई तरफ खड़ा था | ठेलेवाला खेले के मध्य में चार्ट बना रहा था | दो तीन बच्चे और उनकी मां ठेले के सामने खड़े होकर चैट खा रहे थे , तभी कहीं से एक छोटा सा फटी जेब कहीं-कहीं छेद वाली शर्ट और एक अधजला सा पजामा पहने हुए बच्चा आया और उनसे कुछ खाने को देने के लिए कहने लगा | मैं बाजार अपनी नानी के साथ गया था और अब तक मेरी इतनी उम्र हो चली थी के मैं यह समझ गया कि वह बच्चा उनसे भीख मांग रहा था | वह कुछ देर हाथ फैलाकर उनसे मांगता रहा जब उन्होंने कुछ भी नहीं दिया तब वह हमारे पास आया नानी ने उसे ₹2 दिए और वह मुस्कुराता हुआ चला गया |

बच्चे के जाते ही मैंने देखा कि उन बच्चों की मां ने तकरीबन एक आधी प्लेट चाट ना खा पाने के कारण कूड़ेदान में फेंक दी | यह देख कर मैं यह सोचने लगा ‘ के आखिर उन्होंने जाट देखा क्यों ? ‘ उस बच्चे को ही क्यों नहीं दे दिया | जब वह बच्चा उनसे हाथ फैला कर कह रहा था – बहुत भूख लगी है कुछ खिला दो ‘ बाईजी | जब उन औरतों ने यह कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है , तब उस बच्चे ने कहा – ‘ जो खा रहे हो वही दे दो बाईजी |

Language: Hindi
312 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जिंदगी बहुत ही छोटी है मेरे दोस्त
जिंदगी बहुत ही छोटी है मेरे दोस्त
कृष्णकांत गुर्जर
आजादी विचारों से होनी चाहिये
आजादी विचारों से होनी चाहिये
Radhakishan R. Mundhra
If your heart is
If your heart is
Vandana maurya
बाग़ी
बाग़ी
Shekhar Chandra Mitra
रख लेना तुम सम्भाल कर
रख लेना तुम सम्भाल कर
Pramila sultan
3178.*पूर्णिका*
3178.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तोड़ी कच्ची आमियाँ, चटनी लई बनाय
तोड़ी कच्ची आमियाँ, चटनी लई बनाय
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
'मजदूर'
'मजदूर'
Godambari Negi
*समारोह को पंखुड़ियॉं, बिखरी क्षणभर महकाती हैं (हिंदी गजल/ ग
*समारोह को पंखुड़ियॉं, बिखरी क्षणभर महकाती हैं (हिंदी गजल/ ग
Ravi Prakash
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
Atul "Krishn"
परिस्थितीजन्य विचार
परिस्थितीजन्य विचार
Shyam Sundar Subramanian
सीख का बीज
सीख का बीज
Sangeeta Beniwal
महफ़िल से जाम से
महफ़िल से जाम से
Satish Srijan
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
मोल नहीं होता है देखो, सुन्दर सपनों का कोई।
मोल नहीं होता है देखो, सुन्दर सपनों का कोई।
surenderpal vaidya
खेत का सांड
खेत का सांड
आनन्द मिश्र
मेरे नयनों में जल है।
मेरे नयनों में जल है।
Kumar Kalhans
जीवन समर्पित करदो.!
जीवन समर्पित करदो.!
Prabhudayal Raniwal
मुस्कुराने लगे है
मुस्कुराने लगे है
Paras Mishra
क्या खूब दिन थे
क्या खूब दिन थे
Pratibha Pandey
इश्क़ में जूतियों का भी रहता है डर
इश्क़ में जूतियों का भी रहता है डर
आकाश महेशपुरी
💐अज्ञात के प्रति-88💐
💐अज्ञात के प्रति-88💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तुमको खोकर इस तरहां यहाँ
तुमको खोकर इस तरहां यहाँ
gurudeenverma198
रामराज्य
रामराज्य
कार्तिक नितिन शर्मा
श्रम करो! रुकना नहीं है।
श्रम करो! रुकना नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
****मैं इक निर्झरिणी****
****मैं इक निर्झरिणी****
Kavita Chouhan
"तलाश"
Dr. Kishan tandon kranti
***वारिस हुई***
***वारिस हुई***
Dinesh Kumar Gangwar
शीर्षक – शुष्क जीवन
शीर्षक – शुष्क जीवन
Manju sagar
आकुल बसंत!
आकुल बसंत!
Neelam Sharma
Loading...