उनको अपना बना के देख लिया
उनको अपना बना के देख लिया
जख़्म दिल के दिखा के देख लिया
फूल तो फूल थे मगर हमने
शूलों से भी निभा के देख लिया
जानते थे असर न होगा कुछ
हाल फिर भी सुना के देख लिया
अश्क़ खारे थे यह रहे खारे
खूब इनको बहा के देख लिया
जब मिला साथ वक़्त का हमको
खोटा सिक्का चला के देख लिया
दर्द से इसकी है बड़ी यारी
इश्क में दिल डुबा के देख लिया
ज़िन्दगी रूप तेरे अनगिन हैं
“अर्चना’ सब लुटा के देख लिया
डॉ अर्चना गुप्ता